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By : जावेद बिन अली
राजस्थान जयपुर : आज दिनांक 26 नवम्बर 2021 को न्यू पेंशन स्कीम एम्प्लाइज फेडरेशन ऑफ राजस्थान ने संविधान दिवस मनाते हुए नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) की खामियों को उजागर करते हुए बताया कि देशभर के 76 लाख 58 हज़ार 408 कर्मचारी - अधिकारी एनपीएस नामक म्यूच्यूअल फंड योजना का दंश झेल रहे हैं, जो कि पेंशन योजना नहीं है तथा जिसमे लम्बी सेवा अवधि के बाद भी सेवानिवृति पर मात्र 900 से 1800 रूपये मासिक पेंशन मिलने के उदाहरण देश भर में मिलने से कर्मचारियों में भारी रोष व्याप्त हैं । प्रदेश समन्वयक विनोद कुमार ने कहा कि भारतीय संविधान भाग 11 की सातवीं अनुसूची में अनुच्छेद 245-255 राज्यों और संघ के मध्य के अधिकारों को उल्लिखित करती है जिसके अनुसार केंद्र-राज्य संबंध तीन भागों संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची में विभाजित हैं । नेशनल पेंशन सिस्टम राज्य सूची के विषय - पेंशन पर केंद्र का अतिक्रमण है जिसका राज्य सरकारों को भी खुला विरोध करना चाहिए । प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र शर्मा ने जानकारी देते हुए कहा, केन्द्र सरकार ने कॉर्पोरेट जगत को खरबों रूपये के पेंशन फंड को हडपने की छूट देने के लिए 1972 के केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम के स्थान पर 1 जनवरी 2004 से भारत की सेना को छोड़कर अर्धसैनिक बलों सहित सरकारी नौकरी में आये केन्द्रीय कर्मचारियों के लिये नई पेंशन योजना शुरू की जिसका केंद्र की कॉर्पोरेट हितेषी सरकारों के दबाब में पश्चिम बंगाल के अलावा सभी राज्य सरकारों ने अंधानुकरण करते हुए एक-एक करके अलग अलग तिथि से अपने राज्यों में अंशदायी पेंशन योजना को लागू किया। एनपीएस पेंशन योजना न होकर एक म्यूच्यूअल फंड योजना है जिसमे शेयर मार्केट निवेश जोखिम होने के बाबजूद वर्ष 2013 में संसद द्वारा पारित पेंशन फंड विनियामक और विकास प्राधिकरण एक्ट द्वारा न्यनतम रिटर्न की कोई गारंटी प्रदान नहीं की गयी है एवं किसी का भी निवेश सुरक्षित नहीं है ।उन्होंने कहा कि इसके अलावा एनपीएस में कई और दिक्कतें हैं। इसमें महंगाई भत्ते में होने वाली बढ़त के मुताबिक संशोधन का कोई प्रावधान नहीं है, जबकि पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी को साल में दो बार संशोधित महंगाई भत्ते का लाभ मिलता था। संगठन केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए शेयर बाजार से जुड़ी पेंशन योजना का समर्थन नहीं करता है।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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