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By: जावेद बिन अली
राजस्थान जयपुर : न्यू पेंशन स्कीम इंप्लाइज फेडरेशन ऑफ राजस्थान के प्रदेश समन्वयक विनोद कुमार चौधरी अपने एक विशेष भेंटवार्ता में बताया कि `कोविड -19 महामारी के दौर में सरकारी राजकोष को मजबूत करने के लिए देश के हुक्मरानों को अपनी ऐतिहासिक भूल सुधार कर पुरानी पेंशन व्यवस्था दोबारा लागू कर देनी चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि नवीन पेंशन योजना नामक म्यूच्यूअल फंड स्कीम में केंद्र एवं राज्यों के सरकारी कार्मिकों का संचित धन ही वर्ष 2020-21 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद 135 लाख करोड़ के 3.07 प्रतिशत के बराबर चार लाख चौदह हज़ार पांच सौ पांच दशमलव चोंतीस कaaqqqqरूपये हो चुका है, इस धन को शेयर बाज़ार से हटाकर तुरंत ही राजस्थान में हाल ही में एनपीएस कार्मिको के खोले गए जीपीएफ 2004 एवं एसएबी 2004 खातों व अन्य राज्यों व केंद्र सरकार के एनपीएस कार्मिको के सामान्य प्रावधायी निधि (जीपीएफ) खाते खोल कर जमा करा देना बहुत ही जरुरी है क्योंकि महामारी व विश्वव्यापी मंदी के दौर में शेयर बाज़ार में एनपीएस में संचित धन के डूबने का पूरा जोखिम है वही दूसरी ओर एनपीएस में संचित धन राज्य सरकारों के साथ केंद्र सरकार को इस संकट की घडी में बड़ी वित्तीय मदद साबित होगा साथ ही पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग कर रहे राजस्थान के 4,75,523 से अधिक एनपीएस सरकारी कार्मिकों सहित अन्य राज्यों के 51,40,504 व केंद्र के 21,75,846 इस प्रकार देश के 31 मार्च 2021 तक कुल एनपीएस 73,16,350 सरकारी कार्मिकों के 16 वर्ष का पेंशन वनवास समाप्त होने से उनके घरों में दिवाली मनाई जा सकेंगी।
विनोद कुमार चौधरी का कहना था कि एनपीएस समाप्त कर पुरानी पेंशन योजना लागू करने से सरकारों को हर माह अरबों रुपया सरकारी 10 प्रतिशत अंशदान एनपीएस में जमा करने से मुक्ति मिलेगी जिससे वेतन स्थगन करने एवं जबरदस्ती कोविड -19 महामारी दान लेने के अपराध बोध से राहत मिलने के साथ अर्थव्यवस्था में जान आ जायेगी क्योंकि एक तरफ सरकारी कार्मिकों के काटे गये 10 प्रतिशत अंशदान से एकत्र पुराने संचित एनपीएस रुपी मूलधन एवं ब्याज तथा सरकारी अंशदान व ब्याज जीपीएफ के रूप में सरकारी राजकोष में वापस मिल जाएगा ।दूसरी तरफ प्रतिमाह एनपीएस कटौती न होने से राजकोष से नया पैसा नहीं देना पड़ेगा।
उन्होंने बताया कि दिसंबर 2019 तक राजस्थान सरकार के 3 लाख 58 हज़ार 467 पुरानी पेंशन योजना कार्मिकों के जीपीएफ खातों में कुल 34 हज़ार 240 करोड़, 93 लाख रुपया जमा था जबकि एनपीएस बंद करने से राजस्थान के 4,75,523 एनपीएस कर्मचारियों का प्रतिमाह औसत 5000 रूपये की दर से 10 प्रतिशत अंशदान ही लगभग 200 करोड़ 37 लाख रूपये प्रतिमाह से अधिक बैठता है। इसके साथ इतना ही 10 प्रतिशत सरकारी अंशदान 200 करोड़ 37 लाख रूपये प्रतिमाह भी राज्य से बाहर जाने से बचेगा ।इस प्रकार कुल लगभग 500 करोड़ रुपया प्रतिमाह अथवा 6000 करोड़ रुपये वार्षिक राजस्थान सरकार के राजकोष में कोविड -19 महामारी, जनकल्याण एवं विकास कार्यों के लिए उपलब्ध रहेगा। यदि एनपीएस में जमा पुराना धन पीएफआरडीए से वापस प्राप्त कर राजकोष में जोड़ा जाये तो सरकार की बल्ले बल्ले हो जाएगी।
विनोद कुमार चौधरी ने ऐतिहासिक हवाला देते हुए कहां की अप्रैल 1954 से राज्य सरकार द्वारा संचालित सामान्य प्रावधायी निधि (जीपीएफ) एक सरकारी बचत योजना है lजो सरकारी कार्मिको को सामाजिक आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने के साथ राज्य सरकार के लिए पूँजी का विशाल सुरक्षित भंडार भी है लेकिन समस्या यह है की राजनेताओं से कॉर्पोरेट की गुलामी छूट नहीं रही है।
वहीं दूसरी ओर कोविड -19 महामारी संकट के नाम पर कॉर्पोरेट को लाखो करोड़ के बेल आउट पैकेज देने की तैयारी शुरू की जा रही है जो सरासर अन्याय है।पुरानी पेंशन बहाल होने की ख़ुशी से कर्मचारी कोविड -19 महामारी से संघर्ष के लिए पूरे मनोयोग से प्रोत्साहित होगा साथ ही जीपीएफ के रूप में राजकोष को प्राप्त अरबों रुपये के धन को सरकार कोविड -19 महामारी से लड़ने के साथ राज्य के नीतिगत विकास में सदुपयोग कर सकती है।```
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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