पुलिस ने जिसे फर्जी मुठभेड़ मे गिरफ्तार दिखाया वो पहले से था हिरासत मे, जौनपुर प्रेस कांफ्रेंस मे सिर्फ अपनी बात कहती है पुलिस,सवाल जवाब पर कन्नी काटते नजर आते है आला अधिकारी,

By: Khabre Aaj Bhi
May 19, 2019
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जौनपुर: मुख्यालय  पुलिस ने 15 मई को जिस अंतर प्रांतीय लुटेरे को महराजगंज थाना क्षेत्र के कंधी पुल के पास से गिरफ्तार करने का दावा किया था वह 11 मई से ही महराजगंज थाने के लाकप में बंद था। यह दावा दीवानी न्यायालय के अधिवक्ता राम उजागिर विश्वकर्मा ने किया है।  उन्होंने मानवाधिकार आयोग, डीजीपी, डीएम, एसपी व बार अध्यक्ष से इसकी शिकायत की है। अधिवक्ताओं ने मामले की जांच कराकर चार थानाध्यक्षों और एसपी ग्रामीण के खिलाफ फर्जी चालान के आरोप में निलंबन की मांग की है। 
अधिवक्ता रामउजागीर ने आरोप लगाया है कि आरोपी कमलेश बिंद को 11 मई को ही महाराजगंज बाजार से सादी वर्दी में पुलिस पकड़ कर ले गई थी। मुकदमों में पुलिस को पार्टी बनाने से नाराज पुलिसकर्मियों ने उन्हें व उनके परिवार वालों को थाने पर बंद करके मारापीटा और उसी मुल्जिम को भगाने के आरोप में चालान कर दिया। 13 मई को उनके रिश्तेदार ने थाना महाराजगंज के लॉकअप में बंद लूट के आरोपी कमलेश बिंद की कई फोटो खींचकर वायरल की थी। इसके बाद भी पुलिस ने आरोपी कमलेश व उसके साथियों को 15 मई को मुठभेड़ में पिस्टल, कारतूस बाइक,मोबाइल व स्कॉर्पियो के साथ गिरफ्तार करने का दावा किया। साथी के साथ दुर्व्यवहार से क्षुब्ध अधिवक्ताओं ने दुर्व्यवहार व चालान पर आक्रोशित होकर न्यायिक कार्य का बहिष्कार किया अधिवक्ता का कहना है कि वह बहन की लड़की के घर महाराजगंज बाजार चौथ लेकर गए थे। वहीं आरोपी कमलेश बिंद को सादी वर्दी में पुलिस वाले मार पीट रहे थे। बीचबचाव करने पर पुलिस वाले कमलेश को लेकर थाने पर चले गए। थोड़ी देर बाद थाना महाराजगंज, बदलापुर, बक्सा व सुजानगंज के थानाध्यक्ष वहां आए और उन्हें व उनके परिवार वालों को घसीटते हुए थाने ले गए फर्जी मुकदमा दर्ज कर उनका व उनके परिजनों का चालान कर दिया। पुलिस चालान में अधिवक्ता व उनके परिज नों पर मुल्जिम को मारपीट करके भगाने का आरोप लगा चुकी थी इसलिए खुद को सही साबित करने के लिए लॉकअप में बंद आरोपी को पुलिस मुठभेड़ में पकड़ना दिखाया है।
यही नहीं पुलिस द्वारा आयोजित की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में आला अधिकारी पहले से तैयार प्रेस विज्ञप्ति को पढ़कर सुना देते हैं, और पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवालों पर कन्नी काट कर रिपोर्टरो के सामने पेश किए गए नाश्ते की तरफ इशारा कर खाने के लिए कह देते हैं ।
पकड़े गए आरोपियों की मीडिया ट्रायल भी नहीं करने देते उनसे कोई सवाल भी नहीं पूछने दिया जाता है, यही नहीं आरोपीयो को मीडिया से दूर ही रखा जाता है। और अक्सर विभिन्न थानों की गिरफ्तारीयो को प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से अपनी गढ़ी  कहानियां अखबारों में छपवा दी जाती है। जिस पर किसी भी अखबार या रिपोर्टर द्वारा कोई सवाल जवाब ना करके प्रदान की गई विज्ञप्ति का हुबहू छापने में ही अपनी इतिश्री करनके वो अपनी वाहवाही समझते हैं ।
जबकि सही तरीका यह है पुलिस द्वारा दी गई किसी भी सूचना का क्रास चेकिंग हो और हकीकत पता लगाई जाए तो पुलिस द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी में से लगभग( 80% )अस्सी परसेंट जानकारियां गलत ही साबित होगी।


Khabre Aaj Bhi

Reporter - Khabre Aaj Bhi

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