जौनपुर:जरूरत से ज्यादा जल दोहन के कारण 20 से मी की दर से पाताल मे समा रहा पानी,घोषित हुए 8 ब्लाक डार्क जोन

By: Riyazul
Jan 05, 2019
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जौनपुर मे अपने फायदे के लिए जरूरत से अधिक जल दोहन करने से जल स्तर लगातार गिर रहा है। 20 सेंटीमीटर की दर से पाताल में समा रहे पानी को देखते हुए आठ ब्लाकों को डार्क जोन घोषित किया जा चुका है। जल स्तर को लेकर महज गांव ही नहीं बल्कि, शहरों की स्थिति भी चिताजनक है। बरसात के पानी को सहेजने को लेकर जिम्मेदार भी उदासीन बने हुए हैं। बरसात के पानी को सहेजने के लिए विकास भवन में रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम के तहत बने ड्रेन में कूड़ा फेंका जा रहा है।
गिर रहे जलस्तर की मुख्य वजह बड़े पैमाने पर हो रहा जलदोहन है। सबसे बदतर हालात उमरपुर, तारापुर कॉलोनी, कटघरा, तकिया, शाही ईदगाह, दिलाजाक ,अहमद खा मण्डी आदी मोहल्ले की है। यहां आस-पास लगे अधिकतर हैंडपंप सूख गए हैं। पाइप लाइन सप्लाई से आने वाला पानी भी बेहद प्रदूषित है। तमाम लोगों को पीने का पानी लेने दूसरे घरों में जाना पड़ता है। नगर में पानी की किल्लत से अवैध पानी का धंधा भी खूब फल-फूल रहा है। आरओ प्लांट से बड़े पैमाने पर जलदोहन किया जा रहा है। पानी को सहेजने को लेकर प्रत्येक स्तर पर लापरवाही बरती जा रही है। यही वजह है कि जल स्तर घटते हुए पाताल पहुंच रहा है। बीते तीन वर्षों में प्रतिवर्ष 15 से 20 सेंटीमीटर जल स्तर गिरने की वजह से आठ ब्लाकों को डार्क जोन घोषित किया जा चुका है। कुछ अन्य ब्लाक भी खतरे के निशान पर हैं। स्थिति खराब होने की मुख्य वजह जरूरत से अधिक जल दोहन हो रहा है। जिले में तकरीबन 35 हजार ट्यूबवेल हैं। एक ट्यूबवेल से एक घंटे में औसतन 10 हजार लीटर पानी बाहर आता है। इस तरह लाखों लीटर जल दोहन महज ट्यूबवेल से रहा है। इसके अलावा तकरीबन एक लाख 50 हजार हैंडपंप, सबमर्सिबल व अन्य स्त्रोतों से जल दोहन किया जा रहा है। इतना ही नहीं वाहनों की धुलाई से भी बड़े पैमाने पर जल स्तर प्रभावित हो रहा है। चिंता की बात यह है कि जिस अनुपात में धरती के पानी का दोहन किया जा रहा है, उस अनुपात में लौटाया नहीं जा रहा है। जल स्तर को सुधारने को लेकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले बरसात के पानी को बर्बाद किया जा रहा है। कुछ स्थानों पर बने वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम कूड़ेदान बन गया है। तकरीबन यही हाल बनाए गए अन्य आठ ब्लाकों के वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम का भी है। यह हो प्रयास तो बने बात
प्रत्येक सरकारी कार्यालय में रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम स्थापित हो
इमारतों में वाटर हार्वे¨स्टग सिस्टम बनवाने का नियम सख्ती से लागू हो
आरओ से निकलने वाले का सफाई व गमलों में पानी डालने का उपयोग हो
अभिभावक बच्चों में जल संचयन को लेकर जागरूक करें
स्कूलों में भी शिक्षक बच्चों को पानी बचाने के लिए प्रेरित करें
अतिक्रमण की चपेट में तालाबों-पोखरों को गहरा कराया जाय
बनाए गए 65 चेकडैम: जल स्तर को बढ़ावा देने के लिहाज से 65 स्थानों पर चेकडैम बनाए गए हैं। हालांकि इनकी संख्या पर्याप्त नहीं है। गिरते जल स्तर को बढ़ाने के लिए इनकी संख्या को बढ़ाने की जरूरत है।
विकास भवन में रेन वाटर हार्वे¨स्टग सिस्टम के तहत बने ड्रेन को दुरुस्त कराने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। जल्द ही इसे ठीक कराया जाएगा। वाटर लेबल को व्यवस्थित करने के लिए अधिक से अधिक स्थानों पर चेकडैम बनवाने का प्रयास किया जएगा।


Riyazul

Reporter - Khabre Aaj Bhi

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