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जौनपुर: ईल्म की मरकज शेराजे ए हिन्द कही जाने वाली जौनपुर की सरजमी की पांच सगी बहने गरीबी के चलते खुद की पढ़ाई तो पूरी नहीं कर सकीं पर वे अब गरीब और यतीम बच्चों की जिंदगी में तालीम की रौशनी फैला रही हैं। कपड़ों की सिलाई कर के परिवार की आजीविका चलाती हैं और घर पर उन बच्चों को मुफ्त में कोचिंग कराती हैं। सुबह से लेकर शाम तक तीन अलग अलग शिफ्ट में करीब एक सौ बच्चे यहां पढऩे आते हैं। यही नहीं ये बहने मोहल्ले में महिलाओं और बच्चों को स्वच्छता और स्वास्थ्य के बारे में भी जागरुक कर रही हैं। तारापुर मोहल्ला निवासी रुखसार खान, फरात खान, निगात खान, रजिया सुल्तान और सीमा खान को मोहल्ले के लोग अब नाम के आगे मैडम कहकर पुकारतें हैं। इनके पिता नसीर खान खुद तो पढ़े लिखे नहीं हैं। लेकिन वह पढ़ाई की अहमियत को अच्छी तरह समझते हैं। तभी तो उन्होंने मजदूरी कर के बेटियों को जहां तक बस चला वहां तक पढ़ाया। लेकिन पैसे के अभाव में किसी की पढ़ाई स्नातक प्रथम वर्ष में ही छूट गई तो किसी बेटी को एमए में दाखिला नहीं करा सके। अब ये बहने घर पर सिलाई का काम कर परिवार के लिए दो जून की रोटी का भी इंतजाम करती हैं और खाली समय में गरीबी के कारण स्कूल न जाने वाले बच्चों को घर पर मुफ्त में शिक्षा भी देती हैं। मौजूदा समय में आस पास मोहल्ले के करीब 75 बच्चे नियमित रूप से पढऩे आते हैं। शहर के तारापुर मोहल्ले में कोई सरकारी स्कूल नहीं है। बगल के कटघरा मोहल्ले में सरकारी प्राथमिक विद्यालय किराए के भवन में चलता था जो की अब यहां से करीब दो किलोमीटर दूर मख्दूम शाह अढऩ प्राथमिक विद्यालय से अटैच हो गया है।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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