मौज़ा सेवराई बचाने में हो गये थे सात लोग शहीद

By: Khabre Aaj Bhi
Sep 16, 2019
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By: मोज़म्मिल खान

दिलदारनगर:  जनपद ग़ाज़ीपुर के तहसील सेवराई परगना ज़मानियां अन्तर्गत दिलदारनगर उर्फ दीनदारनगर के ज़मींदार संस्थापक मुहम्मद दीनदार ख़ाँ जागीरदार के एकलव्य पुत्र कुुँअर धीर सिंह उर्फ मुहम्मद बहरमंद ख़ाँ फौजदार परगना चैनपुर का आज शहादत दिवस बड़े एहतराम के साथ मनाई गई। दीनदार ख़ाँ जागीरदार के दसवें वंशजों में कुँअर मुहम्मद नसीम रज़ा ख़ाँ ने बताया कि आज ही के दिन यानी अरबी महीने की सोलह मुहर्रमुलहराम दिन मंगलवार अर्थात लगभग सन् 1710-11 ईस्वी बादशाह शाहआलम प्रथम के शासन काल में चौथे वर्ष हम सब के पूर्वजों की शहादत हुई थी। प्रति वर्ष इसाले सवाब दिया जाता है। इस मौके पर लाइब्रेरी संरक्षक मु० करीम रज़ा ख़ाँ, मौलाना मोजीबुर्रहमान ख़ाँ, मौलाना रियाजुद्ददीन ख़ाँ, जुबैर ख़ाँ, मिसबाहुद्दीन ख़ाँ, ग्ययाासुद्दीन ख़ाँ आदि मौजूद थे।                                                  ज्ञातव्य है कि दिलदारनगर स्थित अल् दीनदार शम्सी म्यूज़ियम एंड लाइब्रेरी में सुरक्षित सैकड़ों फ़ारसी दस्तावेज़ों के अनुसार एक दस्तावेज़ मुहम्मद दीनदार ख़ाँ के द्वारा बादशाह शाहआलम प्रथम को महजरनामा लिखा गया था।

 मुहम्मद दीनदार खान के जागीरदाराना हैसियत की तरक्की मोअतसिम खान जो सरकार गाजीपुर का फौजदार था अच्छी नहीं लगती थी। उसने साजिश करके अपने परगना चौसा के साबिक नए फौजदार के जरिए मुहम्मद दीनदार खान के इलाके से सेवराई अमला परगना जमानिया महाल जागीर पर हमला करवा दिया। हालांकि इससे पहले उसकी दिगर अनुशासनहीनता पर 6000 रू. जुर्माना भी हो चुका था लेकिन उसकी बदसलूकी रुकी नहीं। लूटमार कि उक्त हमले व वारदात को दबाने के लिए 16 मुहर्रम दिन मंगल सन् चार जुलूस शाह आलम प्रथम मुहम्मद दीनदार खान ने अपने लड़के बहरमंद ख़ाँ फौजदार को कुछ जमीदारों के साथ उन गांव की हिफाजत के लिए रवाना किया।

लेकिन वह बागी पूर्व फौजदार अपने हजारों साथियों के साथ उस जगह पर लूटमार कर रहा था। यही नहीं मौजा सेवराई की पुरानी मस्जिद को भी शहीद कर रहा था। उसके नापाक हरकत को दबाने के लिए मुहम्मद बहरमंद ख़ाँ ने अपने साथियों के साथ अपनी जान पर खेलकर उन मौजों को बचाया। दिलदारनगर, सेवराई आदि के इतिहास का वह खूनी मंजर मुहम्मद दीनदार ख़ाँ को काफी जख़्म दे गया था। क्योंकि उनका नौजवान बेटा शहीद हुआ था। लेकिन खुदा का शुक्र था कि शहीद मुहम्मद बहरमंद ख़ाँ के वारिस की शक्ल में बाप दादा की वकार को बचाने के लिए पैदा निजाबत ख़ाँ हो चुका था। और आज यहां उनके बारे में कुछ बताने या लिखने के लिए मौजूद है। सेवराई की उस घटना की गवाह उस गांव में आज भी कुतलू ख़ाँ की मस्जिद में पांच पक्की क़ब्रें मौजूद हैं। बाहर हाल उस वक्त लूट में सेवराई, बरेजी, मिश्रवालिया, गोड़सरा और मनियां आदि गांव प्रभावित हुए थे और उनकी मवेशियों, नकद जेवरात, हथियार आदि लूटे गए थे। शहीद मुहम्मद बहरमंद के साथ जिन्होंने उस वारदात में जामे शहादत पिया था। उसमें शेखदयानतुल्ला, मुहम्मद हमजा, नेमतुल्लाह,  मुहम्मद अख्तियार, मुहम्मद सुल्तान आदि थे। उस घटना पर मुहम्मद दीनदार ख़ाँ ने बादशाह को जो खत लिखा था उस पर क़ाज़ी खुदा बख़्श (मुकाबला नमूद शुद) खादिम शरअ की मुहर है और दस्तावेज़ फ़ारसी जुबान में है।                               अल् दीनदार शम्सी म्यूज़ियम एंड लाइब्रेरी में सुरक्षित मुहम्मद दीनदार ख़ाँ जागीरदार, परगना जमानियां के द्वारा लिखा गया "महजरनामा"। (बादशाह शाहआलम प्रथम सन् 16 मुहर्रम दिन मंगलवार शासन का चौथा वर्ष)


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Reporter - Khabre Aaj Bhi

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