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मछलीशहर: यह संसार भवसागर है।इसमें मनुष्य के जीवन में सुख और दुःख आना निश्चित ही है।इस घड़ी में समान भाव में रहकर सुख-दुःख को स्वीकार करना ही ईश्वर के प्रति मनुष्य की सच्ची भक्ति है। उक्त बाते तहसील क्षेत्र के करियाव मीरगंज में चल रहे श्रीमद् भागवद कथा के पाँचवे दिन कथावाचक श्री विष्णु शरण जी महाराज ने कही।उन्होंने आगे बताया कि कारागार में बंद वासुदेव के सारे पुत्रो को राक्षस कंस द्वारा मार डाला गया,फिर भी श्री कृष्ण के जन्म के समय वासुदेव श्री हरी का स्मरण करते रहे।उन्होंने अपने पुत्रो को मारे जाने के शोक में भी भगवान को नहीं भूले।और अंत में भगवान् उनके पुत्र के रूप में आकर दुष्टो का संहार किया।इस प्रकार से दुःख और कष्ट आने पर मनुष्य को विचलित नहीं होना चाहिए बल्कि भगवान् को स्मरण करना चाहिए।ईश्वर अवश्य मदद करता है।यह कार्यक्रम 15 दिसम्बर से 21 दिसंबर तक चलेगा।कार्यक्रम में बड़ी संख्या में भक्तगण मौजूद रहे।अंत में आयोजक विश्वनाथ सिंह ने सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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