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By : जावेद बिन अली
राजस्थान जयपुर : 9 दिसंबर 21, को प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए न्यू पेंशन स्कीम एम्पलॉइज फैडरेशन ऑफ़ राजस्थान, भरतपुर के जिला समन्वयक मुकेश जघीना ने बताया कि फैडरेशन के प्रांतव्यापी आह्वान पर पूरे राजस्थान में राजस्थान में सभी जिलों और ब्लॉकों में मानवाधिकार दिवस के उपलक्ष्य में नवीन अंशदायी पेंशन योजना का दंश झेल रहे सरकारी कर्मचारियों अधिकारियों द्वारा पेंशन चौपाल का आयोजन किया जाएगा, जिसके तहत भरतपुर में भी 10 दिसम्बर शुक्रवार को लक्ष्मण मंदिर चौराहे पर सांय छह बजे पेंशन चौपाल आयोजित की जाएगी । प्रदेश समन्वयक विनोद चौधरी ने बताया कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अपने विभिन्न फैसलों में पेंशन को मानवाधिकार माना है । उन्होंने बताया कि 1982 में ऐतिहासिक निर्णय देते हुए डी एस नकारा एवं अन्य बनाम भारत सरकार फैसले में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ‘‘भारतीय संविधान के अनुसार सरकार पेंशन भोगियों को सामाजिक एवं आर्थिक संरक्षण देने के लिए बाध्य है और सरकारी सेवा से सेवानिवृतों के लिए पेंशन उनका मौलिक अधिकार है। पेंशन न तो उपहार है और ना ही नियोक्ता की सद्भावना या मेहरबानी है। यह एक अनुग्रह भुगतान भी नहीं है बल्कि उनकी पूर्व में की गयी सेवाओं का भुगतान है। यह एक सामाजिक कल्याणकारी मानदण्ड है, जिसके तहत उन लोगों को सामाजिक-आर्थिक न्याय देना है,जिन्होंने अपनी पूरी जवानी नियोक्ताओं के लिए निरंतर कड़ी मेहनत करने में इस भरोसे में बिताई है कि उनके बुढ़ापे में उन्हे बेसहारा नहीं छोड़ दिया जाएगा’’। उन्होंने बताया कि मानवाधिकार आयोग ने भी न केवल पेंशन बल्कि सेवा निवृत होने पर मिलने वाले सभी लाभ ग्रेच्युटी,समर्पित अवकाश भुगतान, प्रोविडेंट फंड आदि को मानवाधिकार माना हैं। उन्होंने बताया की जिसे एनपीएस कहते हैं वह पेंशन योजना न होकर म्यूच्यूअल फण्ड निवेश योजना है जो शेयर बाजार आधारित होने के कारण पूरी तरह से असुरक्षित योजना है तथा सरकारी कर्मचारियों के धन से कार्पोरेट ऐश कर रहे हैं।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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