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नवी मुंबई : कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स कैट के श्री उदय सुरेश भाई ठक्कर ने कहा किसान साथियो और व्यापारी भाइयो, भले ही वित्त वर्ष 2024-25 में केंद्र सरकार ने चावल की आपूर्ति को लेकर विभिन्न योजनाएं लागू की हों, लेकिन इसके बावजूद केंद्रीय पूल में चावल का भंडार 590 लाख टन से अधिक पहुंच गया है। यह आंकड़ा 1 जुलाई के लिए निर्धारित 135.4 लाख टन बफर स्टॉक के चार गुना से भी ऊपर है, जो देश की खाद्य भंडारण स्थिति में असंतुलन का संकेत देता है।
सरकार ने किया 46 लाख टन चावल जारी
सरकारी सूत्रों के मुताबिक इस वित्त वर्ष में अब तक 46.3 लाख टन चावल ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS), भारत चावल योजना, राज्यों को अतिरिक्त आवंटन और एथनॉल उत्पादन जैसी योजनाओं के तहत जारी किया गया है। फिर भी स्टॉक कम होने की बजाय बढ़ा है। इस बढ़ोतरी का मुख्य कारण अधिक खरीदी और बेहतर फसल उत्पादन रहा है। सरकारी अधिकारिक सूत्रो के हवाले से पता चला है कि वर्तमान भंडार में लगभग 210 लाख टन चावल ऐसा है जो अभी मिलर्स से मिला ही नहीं है, यानी यह धान के रूप में है।
क्यूँ बढ़ रहा है स्टॉक
सरकार हर साल PDS (सार्वजनिक वितरण प्रणाली) के तहत लगभग 360 लाख टन चावल वितरित करती है, जबकि खरीद 500 लाख टन से भी अधिक हो जाती है। इस अंतर के कारण हर साल स्टॉक बढ़ता जाता है। यही कारण है कि अब भंडारण की समस्या और भविष्य में खाद्य सब्सिडी में बढ़ोतरी की आशंका जताई जा रही है।
आर्थिक बोझ और सब्सिडी का दबाव बढ़ा
वर्तमान में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) के तहत 81 करोड़ लाभार्थियों को प्रति माह 5 किलो मुफ्त चावल दिया जा रहा है। यह योजना अब 2028 के अंत तक के लिए बढ़ा दी गई है, जिससे सरकार पर कुल ₹11.8 लाख करोड़ का खर्च अनुमानित है। वहीं, 2024-25 की शुरुआत में चावल की आर्थिक लागत ₹41.73 प्रति किलो आंकी गई थी, जो अब और बढ़ सकती है क्योंकि स्टॉक रखने का खर्च, रख-रखाव और परिवहन का बोझ बढ़ गया है।
कितना चावल हुआ जारी
19.6 लाख टन चावल OMSS के तहत बल्क बिक्री में गया,
13.1 लाख टन भारत चावल योजना के तहत,
11.2 लाख टन राज्यों को अतिरिक्त वितरण के लिए,
और 2.3 लाख टन एथनॉल उत्पादन के लिए जारी हुआ।
अगर पिछले साल से तुलना करें तो वर्ष 2023-24 में OMSS के तहत मात्र 1.9 लाख टन चावल बेचा गया था और कुल वितरण केवल 6.4 लाख टन हुआ था।
सरकार की प्रतिक्रिया और आगे की योजना
भंडारण को लेकर कुछ समय पहले चिंता जताई गई थी, लेकिन खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने बताया कि “अब वैसी स्थिति नहीं है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जून से PDS वितरण शुरू होगा और अक्टूबर से 2025-26 की नई खरीद शुरू होने तक उसी स्टॉक का उपयोग किया जाएगा। चूंकि दिसंबर तक मिलर्स से वास्तविक चावल मिलना शुरू होगा, तब तक पुराने स्टॉक से काम चलाया जाएगा। कुल मिलाकर, चावल की खरीद, आपूर्ति और मांग में असंतुलन बना हुआ है। एक तरफ जहां चावल के निर्यात और बाजार भावों में तेजी देखी जा रही है, वहीं दूसरी ओर सरकारी गोदामों में अत्यधिक स्टॉक से भंडारण और सब्सिडी दोनों को लेकर दबाव बना हुआ है। इस परिस्थिति में व्यापारियों और नीति निर्धारकों को सतर्कता और संतुलन के साथ निर्णय लेने की आवश्यकता है।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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