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गाजीपुर : 'साहित्य चेतना समाज' के तत्वावधान में 'चेतना - प्रवाह' कार्यक्रम के अन्तर्गत देश के ख्यात मंच-संचालक, 'गाजीपुर गौरव सम्मान' से सम्मानित कवि हरिनारायण 'हरीश' के तिलक नगर काॅलोनी स्थित आवास पर उनके 80 वें जन्मदिवस के अवसर पर एक 'सरस काव्यगोष्ठी' का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ समस्त कवियों के द्वारा माॅं वीणापाणि के चरणों में दीप-प्रज्वलन एवं पुष्पार्चन के उपरान्त संजय पाण्डेय की वाणी-वंदना से हुआ। इसके पश्चात हरीश जी को माल्यार्पण कर एवं अंगवस्त्रम् प्रदान कर सम्मानित किया गया।तदुपरान्त संजय पाण्डेय एवं प्रभाकर त्रिपाठी ने अपने सांगीतिक अनुगायन के द्वारा इस अवसर को और सुन्दर बना दिया। युवा नवगीतकार डॉ.अक्षय पाण्डेय ने कवि के 80वें जन्मदिन पर शताब्दी साहित्यकार बनने की मंगलकामना के साथ स्नेहिल बधाई दी। अपने वक्तव्य में हरीश जी के अवदान को रेखांकित करते हुए कहा कि "यदि डॉ.पी.एन.सिंह ने अपने समय-समाज को अकादमिक-संस्कार दिया है तो कवि हरीश ने अपने उत्कृष्ट संचालन के द्वारा भारतीय मंचों को एक श्रेष्ठ काव्यात्मक-संस्कार दिया है।" इसी के साथ ही डाॅ.पाण्डेय ने अपना नवगीत-"यति गति तुक ताल छन्द, गेयता गठन/अर्थों की अन्वितियाॅं, शब्द का चयन/मेरे चिन्तन सारे भाव यही हैं/कविता हैं अम्मा, उन्वान हैं पिता" सुनाकर खूब वाहवाही अर्जित किया। युवा कवि प्रभात रघुवंशी ने अपनी ग़ज़ल "हद से ज्यादा भरोसा हो ख़ुद पर जिन्हें/ऐसे लोगों का कोई भरोसा नहीं" सुनाकर खूब वाहवाही लूटी। युवा व्यंग्य-कवि आशुतोष श्रीवास्तव ने"मेरे घर में सभी लायक थे/सो पढ़-लिख सभी विदेश चले गए/घर में मैं ही नालायक था/सो बूढ़े माॅं-बाप मेरे हिस्से आ गए"प्रस्तुत कर सोचने पर बाध्य किया।युवा ग़ज़लगो गोपाल गौरव ने अपनी ग़ज़ल -"पूनम का सुधाकर तेरे घर बरसे सुधारस/दिन जन्म मुबारक हो, दिन जन्म मुबारक" सुनाकर अतीव प्रशंसा अर्जित की। भोजपुरी-हिन्दी के श्रेष्ठ गीतकार हरिशंकर पाण्डेय ने अपना गीत "तेरे जन्मदिन पर हैं सबकी दुआऍं/रहें खुश सदा,अब कोई ग़म न आए" के द्वारा अपनी सस्वर मंगलकामनाऍं दी। 'साहित्य चेतना समाज' के संस्थापक अमरनाथ तिवारी 'अमर' ने हरीश जी को जन्मदिन की अकूत बधाई देते हुए कहा कि -"अपनी कविताओं के द्वारा यशार्जन के साथ ही आदरणीय हरीश जी ने हिन्दी-कवि-मंंचों को संचालक के रूप में एक सात्विक संस्कार दिया। हमारी संस्था, हरीश जी जैसे महनीय साहित्यिक व्यक्तित्व को 'गाजीपुर गौरव सम्मान' प्रदान कर स्वयं गौरवान्वित हुई।" साथ ही अपनी व्यंग्य कविता -"बनकर रहना अपने पति के चरणों की दासी/घर को बनाना स्वर्गऔर घर वालों को स्वर्गवासी"सुनाकर श्रोताओं को ताली बजाने के लिए मजबूर कर दिया। नगर के वरिष्ठ कवि,वीररसावतार दिनेशचन्द्र शर्मा ने अपनी काव्यमय शुभकामनाऍं इन शब्दों में दी-"जब भी दिलो-दिमाग में साहित्य के प्रति नफ़रत की दीवार खड़ी हो तो/हरीश जी के विचारों को याद करें"। इस कार्यक्रम के केन्द्रीय व्यक्तित्व हरिनारायण 'हरीश' ने अपने जीवन के अविस्मरणीय साहित्यिक संस्मरणों को सुनाते हुए अपनी चर्चित ग़ज़ल - "मत लिखो अब हास की परिहास की बातें/अब लिखो कुछ भूख की कुछ प्यास की बातें।" पढ़ी और श्रोता आनन्दित हो अनवरत ताली बजाते रहे। अध्यक्षीय काव्यपाठ के रूप में नगर के विष्ठ शायर कुमार नागेश ने अपना गीत - "लम्हों के कोरे पृष्ठों पर/फिर हार लिखूॅं या जीत लिखूॅं/तुम आज मुझे मनमीत लिखो/मैं तुझ पे कोई गीत लिखूॅं" सुनाकर खूब वाहवाही बटोरी। अन्त में समस्त स्वजन-परिजन के साथ ही उपस्थित कवियों ने कवि हरीश को निरामय जीवन जीते हुए शतायु होने की मंगलकामना के साथ ही जन्मदिन की अशेष बधाई दी।श्रोता के रूप में राघवेन्द्र ओझा,मंजु हरीश,स्मिता,अविराज,सरिता,अनामिका, अक्षिता,रक्षिता,अनुराग आदि उपस्थित रहे। इस सरस काव्यगोष्ठी की अध्यक्षता नगर के वरिष्ठ शायर कुमार नागेश एवं सफल संचालन सुपरिचित नवगीतकार डॉ.अक्षय पाण्डेय ने किया।अन्त में संस्था के संगठन सचिव प्रभाकर त्रिपाठी ने समस्त सहभागी कवि गण एवं आगन्तुक श्रोताओं के प्रति आभार व्यक्त किया।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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