श्राद्ध एक वैज्ञानिक रीति है दकियानूसी विचार नहीं : पूर्व परमाणु वैज्ञानिक विपुल लखनवी

By: Khabre Aaj Bhi
Aug 10, 2022
985

By : सुरेन्द्र सरोज

नवी मुम्बई : विगत दिवस भारत विकास परिषद के पूर्व कोषाध्यक्ष और वर्तमान संरक्षक श्री ओ पी कानूनगो जी के निवास हाल में "श्राद्ध का वैज्ञानिक पहलू और सनातन ज्ञान" पर एक सार्थक व्याख्यान और चर्चा हुई। विपुल लखनवी द्वारा दिए गए इस व्याख्यान को वहां उपस्थित सभी समुदाय ने बहुत ध्यान और कौतूहल से सुना और कई जिज्ञासाएं प्रस्तुत कीं। जिनका समाधान सहज रूप से किया गया। विपुल जी ने आरम्भ में सनातन की सोच के साथ वेद क्या हैं कैसे आए यह समझाते हुए उपनिषद, षट् दर्शन शास्त्र और पुराणों की उत्पत्ति को समझाया। इसके बाद योग के वास्तविक स्वरूप को समझाते हुए मात्र पेट को फुलाना पिचकाना योग नहीं होता है इस पर जानकारी दी। अष्टांग योग में पांच वाहिक अंग और तीन आंतरिक अंगों को अलग-अलग समझाते हुए उन्होंने यह बताया कि वर्तमान में योग का अर्थ केवल स्वास्थ्य रह गया है जो पूर्णतया गलत है। योग मार्ग तो षष्टांग और सप्तांग भी होता है। अष्टांग योग तो केवल रामदेव महाराज के कारण ही चर्चित हो गया है। जो सनातन ज्ञान का एक छोटा सा भाग है। विपुल जी ने आगे बताया कि उन्होंने एक ट्रस्ट रजिस्टर्ड कराया है जिसमें मुद्रा ध्यान पर शोध किया जाएगा क्योंकि इसके द्वारा भी मनुष्य निरोगी और योगी बन सकता है। इसके अतिरिक्त ट्रस्ट के माध्यम से एक शोध केंद्र की स्थापना कर रहे हैं जिसमें बच्चों की बुद्धि के विकास हेतु, मन की शांति हेत, विभिन्न मंत्रों के उच्चारण से रोगों से मुक्ति, वैज्ञानिकता के द्वारा ज्योतिष का प्रमाण, आदिवासियों द्वारा जीने की शैली के रहस्य, साथ ही सचल मन वैज्ञानिक ध्यान विधि के द्वारा आत्म साक्षात्कार और देव दर्शन की पद्धति पर शोध किया जाएगा। वर्तमान में सचल मन वैज्ञानिक ध्यान विधि के द्वारा देश के तमाम लोगों ने सनातन की शक्तियों के अनुभव के साथ अनेकों देव के दर्शन भी किए हैं। श्राद्ध की महत्ता को विज्ञान से और पर्यावरण से जोड़कर विपुल जी ने स्थूल शरीर सूक्ष्म शरीर और कारण शरीर की महत्ता को समझाते हुए इस विषय पर जानकारी दी। इस अवसर पर मलाड बोरीवली क्षेत्र के कई उद्योगपति और संभ्रांत लोग मौजूद थे। हमारी जानकारी के अनुसार विपुल जी के ट्रस्ट ने गरीब विद्यार्थियों हेतु ₹51000 की 5 छात्रवृत्तियां घोषित की है इसके साथ प्रारंभ में मलाड बोरीवली और नवी मुंबई के उल्वे में ध्यान केंद्र की स्थापना की जा रही है। इसके अतिरिक्त भोजन भंडारा कार्यक्रम के अंतर्गत नवी मुंबई के कई स्थानों पर गरीबों को भोजन उपलब्ध कराया जाएगा। विपुल जी ने लोगों से इस कार्यक्रम में जुड़ने की अपील की है क्योंकि उनका मानना है अकेला चना कभी भाड़ नहीं भूंज सकता लेकिन गांधीजी का सिद्धांत है जिसको रवीन्द्रनाथ टैगोर ने कहा एकला चलो रे।


Khabre Aaj Bhi

Reporter - Khabre Aaj Bhi

Who will win IPL 2023 ?