राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास और नियम कानून विपुल लखनवी, नवी मुम्बई, कवि, लेखक और वैज्ञानिक

By: Khabre Aaj Bhi
Aug 14, 2022
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By : सुरेन्द्र सरोज

नवी मुंबई :  किसी भी देश के राष्ट्रीय ध्वज आन-बान और शान का प्रतीक है। हमारे देश में हर वर्ष स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त  को झंडारोहण किया जाता है लेकिन गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है। आइए 76 वें और 75 वर्ष पूरे होने पर  राष्ट्रीय ध्वज के विषय में कुछ जानें।

राष्ट्रीय ध्वज को स्तम्भ पर ऊपर की तरफ खींचकर फहराया जाता है और इसको ध्वजारोहण कहते हैं। अंग्रेजी में इसे Flag Hoisting कहते हैं। दूसरी तरफ गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज ऊपर बंधा रहता है और उसको खोलकर फहराते हैं और इसे झंडा फहराना कहा जाता है। अंग्रेजी में Flag Unfurling कहते हैं। स्वतंत्रता दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन लाल किले पर होता है इस दिन प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं।  वहीं, गणतंत्र दिवस का कार्यक्रम राजपथ पर होता है। इस दिन राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं। प्रधानमंत्री देश के राजनीतिक प्रमुख होते हैं जबकि राष्ट्रपति संवैधानिक प्रमुख।भारत 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र हुआ था अतः इस दिन स्वतंत्रता दिवस और संविधान 26 जनवरी, 1950 लागू हुआ इस कारण से 26 जनवरी गणतंत्र या संविधान दिवस। तिरंगे को हमेशा सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच ही फहराया जा सकता है। तिरंगे को कभी आधा झुकाकर नहीं फहराया जाना चाहिए। ऐसा सिर्फ उन मौकों पर होता है जब सरकारी इमारतों पर झंडे को आधा झुकाकर फहराने के आदेश जारी किए गए हों। इसके अलावा, तिरंगे को कभी जमीन पर नहीं रखा जाता। किंतु वर्तमान में 13 अगस्त को झंडा फहराकर 15 अगस्त तक हम अपने घर में इसको लगा सकते हैं। 

सबसे पहले लाल, पीले और हरे रंग की पट्टियों वाले झंडे को को 7 अगस्त 1906 को पारसी बागान चौक कोलकाता में फहराया गया था। इसके बाद तिरंगे का स्वरूप कई बार बदला। वर्तमान में​ राष्‍ट्रीय ध्‍वज तिरंगे का जो स्वरूप है, उसे आजादी मिलने से (15 अगस्‍त 1947) से कुछ दिन पहले 22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक के दौरान अपनाया गया था। राष्ट्रीय ध्वज फहराने के कुछ नियम-कायदे होते हैं। इसके बारे में बहुत सारे लोगों के बीच जागरूकता की कमी देखी जाती है। तिरंगे को लेकर लोगों के बीच कुछ भ्रांतियां भी फैली होती है। 

तिरंगा, राष्ट्रीय सम्मान का प्रतीक है और प्रतीक के तौर पर इसका व्यवसायिक इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।  खासकर इस तरह, जिससे कि इसके प्रति असम्मान व्यक्त होता हो। तिरंगे को लेकर देश में ‘भारतीय ध्वज संहिता’ (फ्लैग कोड ऑफ इंडिया) नाम का एक कानून है। इसमें तिरंगा फहराने के नियम निर्धारित किए गए हैं। इन नियमों का उल्लंघन करने वालों को जेल भी हो सकती है।

तिरंगा हमेशा सूती, सिल्क या खादी का होना चाहिए प्लास्टिक का झंडा बनाने की मनाही है। तिरंगे का निर्माण हमेशा आयताकार होगा, जिसका अनुपात 3:2 तय है। वहीं सफेद पट्टी के मध्य स्थित अशोक चक्र में 24 तिल्लियां होनी आवश्यक हैं। बता दें कि देश में केवल तीन जगह पर ही 21×14 फीट के राष्ट्रीय झंडे फहराए जाते हैं। ये जगहें हैं- कर्नाटक का नारगुंड किला, महाराष्ट्र का पनहाला किला और मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में स्थित किला।

पहले आम लोगों को अपने घरों या प्रतिष्ठानों पर तिरंगा फहराने की अनुमति नहीं थी, वहीं रात के समय भी इसे फहराने की मनाही थी। आम लोगों को अपने घरों या ऑफिस में आम दिनों में भी इसकी अनुमति 22 दिसंबर 2002 के बाद मिली। वहीं रात में तिरंगा फहराने की अनुमति साल 2009 में दी गई। किसी मंच पर तिरंगा फहराते समय जब बोलने वाले का मुंह श्रोताओं की तरफ हो तब तिरंगा हमेशा उसके दाहिने तरफ होना चाहिए। तिरंगे को किसी की पीठ की तरफ नहीं फहरा सकते। झंडे पर कुछ भी लिखना, बनाना या विलोपित करना गैरकानूनी है। किसी भी गाड़ी के पीछे, प्लेन में या जहाज में तिरंगा नहीं लगाया जा सकता। किसी सामान, बिल्डिंग वगैरह को ढकने के लिए इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

किसी भी स्थिति में राष्ट्रीय ध्वज जमीन पर टच नहीं होना चाहिए। तिरंगे को किसी भी प्रकार के यूनिफॉर्म या सजावट के लिए प्रयोग में नहीं लाया जा सकता। किसी भी दूसरे झंडे को राष्ट्रीय झंडे से ऊंचा नहीं रख सकते या लगा सकते।

भारत के संविधान के अनुसार जब किसी राष्ट्र विभूति का निधन होने और राष्ट्रीय शोक घोषित होने पर कुछ समय के लिए ध्वज को झुका दिया जाता है। जिस भवन में उस विभूति का पार्थिव शरीर रखा है, उसी भवन का तिरंगा झुकाया जाता है। पार्थिव शरीर को भवन से बाहर निकाले जाने के बाद तिरंगे को पूरी ऊंचाई तक फहरा दिया जाता है।

वहीं, देश की महान ​शख्सियतों और शहीदों के पार्थिव शरीर को तिरंगे में लपेट कर सम्मान दिया जाता है। हालांकि ध्यान रखा जाता है कि तिरंगे की केसरिया पट्टी सिर की तरफ और हरी पट्टी पैरों की तरफ हो। शव के अंतिम संस्कार के बाद उसे गोपनीय तरीके से सम्मान के साथ जला दिया जाता है या फिर पवित्र नदी में जल समाधि दे दी जाती हैं। कटे-फटे या विकृत तिरंगे के साथ भी ऐसा ही सम्मानजनक व्यवहार किया जाता है।


Khabre Aaj Bhi

Reporter - Khabre Aaj Bhi

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