बिना किसी अनुमति (संबंधित हित) के पुनर्विकास कैसे किया जाए ? सिंप्लेक्स निवासियों का सवाल

By: Surendra
May 21, 2025
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नवी मुंबई :  लगभग 21 साल पहले, नवी मुंबई के घनसोली नोड में मथाडी कॉलोनी परिसर का निर्माण 2004 में माथाडी श्रमिकों के लिए किया गया था। जब निर्माण अभी भी मजबूत है, तब भी पुनर्विकास के लिए जोर दिया जा रहा है। पिछले चार सालों से पुनर्विकास के नारे लगाकर निवासियों की आवाज को दबाया जा रहा है। पुनर्विकास के सभी नियमों को नजरअंदाज करते हुए, नवी मुंबई के तथाकथित नेता सिडको, नगर निगम और रजिस्ट्रार कार्यालय के अधिकारियों के साथ हाथ मिलाकर पुनर्विकास को लागू करने की व्यर्थ कोशिश कर रहे हैं। यह देखा जा रहा है कि स्थानीय निवासियों को विश्वास में लिए बिना और उनकी बात सुने बिना उन पर दबाव तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है।

पुनर्विकास को लेकर मथाडी कॉलोनी परिसर में कई बैठकें हो चुकी हैं। लेकिन निवासियों को उनके सवालों के स्पष्ट जवाब नहीं मिलने से वे असमंजस में हैं। साथ ही हाउसिंग सोसायटी को कहा जा रहा है कि जून में मकान तोड़ दो, हम साबित कर देंगे कि इमारत खतरनाक है, हम सभी परमिट दिखा देंगे, हम गारंटी देंगे, लेकिन अभी तक कुछ होता नहीं दिख रहा है। सोसायटी के पदाधिकारी संबंधित नेताओं पर चालें चलने में व्यस्त हैं। मूल रूप से सोसायटी के पदाधिकारियों को अपने मतदाताओं के बारे में सोचना चाहिए था, लेकिन वे संबंधित नेताओं के हितों की रक्षा कर रहे हैं, इसलिए निवासी चिंतित हैं। सोसायटी की समिति को नोटिस के माध्यम से सोसायटी के कार्यालय में दस्तावेज जमा करने के लिए कहा गया है। पुनर्विकास के नाम पर, नवी मुंबई के राजनीतिक नेता लाभ कमाने के नाम पर सभी आम लोगों को बेघर करने की योजना तो नहीं बना रहे हैं? अभी तक किसी भी संगठन के पास जमीन का मालिकाना हक नहीं है। यह भी कहा जा रहा है कि पुनर्विकास के लिए संबंधित विभाग की परमिट ली गई है, लेकिन दिखाई नहीं जा रही है। स्थानीय लोगों के बीच इस तरह के कई तर्क सामने आ रहे हैं। लेकिन एक बात तो तय है, जब तक पुनर्विकास के लिए परमिट नहीं दिखाने वाला व्यक्ति नहीं आता, तब तक लोग निजी तौर पर यह भी कह रहे हैं कि वे मकान नहीं तोड़ेंगे। मूल रूप से संस्था के पास संस्था का मालिकाना हक अभी तक नहीं है, 21 वर्षों में इमारत की रंगाई-पुताई या किसी भी तरह की मरम्मत नहीं की गई है। इमारत को बने हुए अभी 30 साल भी नहीं हुए हैं, फिर भी इसे खतरनाक इमारत घोषित करने की योजना बनाई जा रही है। यानी यह साबित हो रहा है कि इस साजिश में कहीं न कहीं महानगरपालिका, सिडको और संयुक्त पंजीयक कार्यालय के अधिकारी शामिल हैं। नागरिक काफी जागरूक नजर आ रहे हैं और ऐसा लग रहा है कि वे इसके झांसे में नहीं आएंगे, इसलिए कुछ नागरिकों का कहना है कि वे सिडको, महानगरपालिका और पंजीयक कार्यालय से जानकारी लेने के बाद ही कोई निर्णय लेंगे, ताकि लोगों के साथ धोखा न हो।


Surendra

Reporter - Khabre Aaj Bhi

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