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चंदौली : कितना अच्छा है न कि सपने देखने के पैसे नहीं लगते वर्ना सिर्फ अमीर ही बड़े-बड़े सपने देख पाते। वो सपने ही थे जिसकी बदौलत एक शिक्षक जो आर्थिक समस्या को झेलते हुए शिक्षक बना हो और आज पूरे समाज में वह शिक्षक को दिवगंत होने के दो साल बाद भी समाज के लोग भूल नही पा रहे है।
जब सपनों को पूर्व मध्य रेलवे इण्टर कॉलेज के उपप्राचार्य रहे स्मृतिशेष विश्वनाथ कुंवर ने देखा तो उनको भी ये उम्मीद कम ही थी कि एक दिन उनके सारे सपने पूरे हो जाएंगे। लेकिन मजबूरियों को मात देकर उन्होंने अपने ख्वाब को हमेशा जिंदा रखा और उन्हीं उम्मीदों का नतीजा है कि उनके बेटे इंजीनियर और प्रोफेसर तो बने ही। उनका पौत्र प्रभाकर सिंह भी लगातार जनपद का नाम रौशन कर रहा है।गौरतलब है कि विगत 29 और 30 अप्रैल को मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय, भोपाल में आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में प्रभाकर सिंह ने ऑनलाइन माध्यम से जुड़कर "दूरस्थ शिक्षा से संबंधित समस्या एवं उसके समाधान" विषय पर अपने पेपर और विचारों को रखा था। सेमिनार में उपस्थित पांच विश्वविद्यालय के कुलपति, अतिथि वक्ताओं, संसाधन व्यक्तियों, विभिन्न विभाग के प्रतिनिधियों और छात्र प्रतिनिधियों के अनुमोदन पर प्रभाकर सिंह को सराहना प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया। जिसकी प्रति पोस्ट के माध्यम से रविवार को प्रभाकर सिंह को प्राप्त हुआ।प्रमाण पत्र प्राप्त करने की सूचना पाकर लाल बहादुर शास्त्री स्नातकोत्तर महाविद्यालय के पूर्व प्रधानाचार्य डॉ० अनिल यादव, उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल के प्रदेश मंत्री चंद्रेश्वर जायसवाल, सिविल बार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष एडवोकेट खालिद वकार आबिद, एचडीएफसी बैंक के डिप्टी मैनेजर अंकित त्रिपाठी समेट अन्य ने प्रभाकर को बधाई दी और भविष्य के लिए मंगलकामना की।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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