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चंदौली के दुलहीपुर में उठाया गया सबसे पुराना जुलूस, सैकड़ों ताजिया करबला में दफन, निकला दुलदुल और अलम
इराक के करबला शहर में 61हिजरी सन में यजीदी फौज ने पैगंबर साहब के नवासे इमाम हुसैन और उनके 71 साथियों को भूखा और प्यासा शहीद किया था ।
इसी की याद में शिया मुसलमानों ने दुलहीपुर स्थित जाफरी स्ट्रीट से उठे जुलूस में जंजीर और कमाजनी हुई। जुलूस आगा नकद अली के इमामबाड़े से निकलकर करबला में समाप्त हुआ।
जुलूस उठने से पूर्व मौलाना कैसर हुसैन नज्फी ने मजलिस को खिताब फरमाया । उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन को भूखा और प्यासा शहीद किया गया जिसमे उनका 6 माह का बच्चा भी था।
मजलिस सुनकर अकीदतमंद रोने लगे । वहीं हिंदू भाई धारी पटेल का ताजिया इमामबाड़े पर पहुंचने जुलूस उठाया गया । इसमें दुलदुल, अलम वा ताबूत ले साथ ही साथ 150 साल पुरानी ताजिया भी उठाई है । जिसकी जियारत करने के लिए जन सैलाब उमड़ पड़ा ।
देर रात से ही उमड़ पड़े थे श्रद्धालू
इमामबाड़ा आगा नजफ अली साहब में देर रात ताजिया इमाम चौक पर रखा गया था । दोपहर 3 बजे 10 मोहर्रम का जुलूस उठाया गया गया । जुलूस में अंजुमन सज्जादिया असगरिय और जफरिया ने नोहा मातम किया ।
जुलूस में मुख्य रूप से सेक्रेटरी यासिर हैदर जाफरी, फैजी जाफरी, मकसूद हसन जाफरी, जावेद जाफरी, काशिफ जाफरी, दबीर हैदर, अजहर हुसैन, शहंशाह हुसैन,कासिम जाफरी, फैजी जाफरी, मकसूद जाफरी आदि लोग मौजूद रहे ।
जुलुस का संचालन खदीमे आजादारी राहिब जाफरी ने किया
कोतवाल मुगलसराय पूरी फोर्स के साथ मौजूद रहे
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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