To view this video please enable JavaScript, and consider upgrading to a web browser that supports HTML5 video
by : जावेद बीन अली
लखनऊ : कोविड-19 से पहले भारत में कुछ ऐसे समुदाय का खानदानी पेशा हैl जिन्हें आजादी से लेकर आज तक ठगा जाता रहा हैl हर केंद्रीय सरकार बनने से पहले सुनहरे सपने खूब दिखाए जाते हैं lलेकिन आज तक उनकी हालत नहीं बदलीl भारत में कपड़ा बुनने का कार्य एक विशेष समुदाय से जुड़ा हुआ है l यह समुदाय पूरे भारत में मौजूद है l लेकिन इनकी हालत आज तक नहीं बदलीl मैंने आज पूर्व डीजीपी एम.डब्ल्यु अंसारी दूरभाष के द्वारा बुनकरों से संबन्धित समस्याओं के निराकरण हेतु जब बात किया तो उन्होंने भी केंद्र सरकार और सरकार को ठगने का इल्जाम लगाते हुए कहा कि पहले से ही समुदाय की हालत काफी खराब थी कोविड-19 ने इस समुदाय के कारोबार को ज़ीरो से भी माइनस पर लाकर खड़ा कर दिया है l मैं केन्द्र सरकार एंव प्रदेश सरकार से निम्न मांग करता हूं lइस मांग के माध्यम से इस समुदाय की हालत सुधर सकती हैl
1) पाॅवरलूम बुनकरों की निर्धारित न्यूनतम पुरानी फ्लेटरेट योजना बहाल करते हुए 1 जनवरी 2020 से पासबुक के आधार पर बिजली बिल जमा कराया जाय।
2) बिजली विभाग एंव हत्कर्घा विभाग द्वारा किये जा रहे उत्पीड़न एंव शोषण को तुरन्त बन्द कराया जाय।
3) पाॅवरलूम बुनकरों के ऊपर जो फर्जी बिल बक़ाया है उसको जल्द से जल्द माफ किया जाय।
इसके अतिरिक्त भारत सरकार एंव प्रदेश सरकार के द्वारा हर वह क़दम उठाया जाय जिससे कि बुनकर मज़दूर किसानों की तरह आत्मा हत्या करने पर मजबुर न हों। इसके लिए आवश्यक है कि उनको राॅ-मटेरियल इंट्रेस्ट फ्री लोन और भी अन्य वित्तीय सहायता दी जाय जिससे कि पाॅवरलूम का कारोबार पुनः जीवित हो सके।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
0 followers
0 Subscribers