कविता

By: Surendra
Dec 29, 2023
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कविता

बारिस आई-बारिस आई 

सावन की बारिस है आई 

रंग बिरंगे फूल खिलाई 

छम-छम छम-छम बूँदें गिरती

 पायल  जैसी धुन है छाई   

भैया तुम बाहर मत जाओ

बारिस आई  बारिस आई ।

 जाकर जल्दी कागज लाओ

 उसकी नौका एक, बनाओ, 

जल में जाकर उसे चलाओ 

खूब उछल कर नाचो गाओ 

 तेज हवा फिर साँथ में आई 

बारिस आई-बारिस आई।


मेंढक भी टर्राते हैं 

मधुकर गाना गाते हैं 

बगुलों को पूछो मत  कोई

 सीधे दिल्ली जाते  हैं

 मौसम को रंगीन बनाई 

 बारिस आई - बारिस आई l

प्रभात कुमार भारती 

फूलपुर - वाराणसी (उ.प्र.)

221206

फोन नं- 9044666731


Surendra

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