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कविता
बारिस आई-बारिस आई
सावन की बारिस है आई
रंग बिरंगे फूल खिलाई
छम-छम छम-छम बूँदें गिरती
पायल जैसी धुन है छाई
भैया तुम बाहर मत जाओ
बारिस आई बारिस आई ।
जाकर जल्दी कागज लाओ
उसकी नौका एक, बनाओ,
जल में जाकर उसे चलाओ
खूब उछल कर नाचो गाओ
तेज हवा फिर साँथ में आई
बारिस आई-बारिस आई।
मेंढक भी टर्राते हैं
मधुकर गाना गाते हैं
बगुलों को पूछो मत कोई
सीधे दिल्ली जाते हैं
मौसम को रंगीन बनाई
बारिस आई - बारिस आई l
प्रभात कुमार भारती
फूलपुर - वाराणसी (उ.प्र.)
221206
फोन नं- 9044666731
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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