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यूरोपीयन यूनियन की आलोचना को आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप बताना गलत
लखनऊ : देश में बढ़ते साम्प्रदायिक विभाजन और मणिपुर की हालिया ईसाई विरोधी हिंसा पर यूरोपियन यूनियन द्वारा चिंता व्यक्त किया जाना मोदी सरकार की विभाजनकारी नीतियों के कारण भारत की आंतरिक स्थिति के बिगड़ते जाने का परिणाम है। मोदी सरकार में भारत की छवि विदेशों में दिनों दिन खराब हो रही है। इससे भारत के प्रति वैश्विक समुदाय का अविश्वास बढ़ा है।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी के फ्रांस दौरे के समय यूरोपीयन यूनियन द्वारा प्रस्ताव लाकर भारत में बढ़ती सांप्रदायिक हिंसा पर चिंता व्यक्त किये जाने को मोदी सरकार द्वारा गंभीरता से लेना चाहिए। क्योंकि उसकी सांप्रदायिक और विभाजनकारी नीतियों के कारण पूरी दुनिया में देश की बदनामी हो रही है। इससे पहले मोदी जी के अमरीका दौरे के समय भी पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने एक इंटरव्यू में भारत में बढ़ती सांप्रदायिक घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए इसे भारत की एकता और अखंडता के लिए खतरा बताया था।शाहनवाज़ आलम ने कहा कि एक समय में भारत तीसरी दुनिया का नेतृत्व करता था। वैश्विक संस्थाओं द्वारा भारत को लोकतंत्र के प्रहरी के बतौर प्रतिष्ठा की नज़र से देखा जाता था। भारत के लोकतंत्र के प्रति वैश्विक समुदाय की बढ़ती चिंता को केंद्र की भाजपा सरकार को गंभीरता से लेना चाहिए। इन आलोचनाओं को इस तर्क के साथ ख़ारिज करना कि यह देश का आंतरिक मुद्दा है, अतर्किक और गलत है। उन्होंने कहा कि किसी भी देश के अंदर हो रही हिंसक घटनाएं पूरे मानव समुदाय के लिए चिंता का विषय हैं। वसुधैव कुटुंबकम का सार भी यही है। इसलिए भाजपा सरकार द्वारा इसे आंतरिक मामल बताना गलत है। इससे वैश्विक स्तर पर देश और अलग थलग पड़ जाएगा और उसके नैतिक साहस में कमी आएगी।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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