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नवी मुंबई : पर्यावरण के ऊपर बड़े-बड़े व्याख्यान देने वाली और करोड़ों का बजट बनाने वाली महानगरपालिकाएं मूलभूत समस्या पर जाने का विचार नहीं करती है और न कोशिश करती है। नवी मुंबई में कचरा उठाने वाली गाड़ी लकड़ी को और जो टूटे-फूटे फर्नीचर होते हैं या हार्ड बोर्ड को उठाने से साफ मना कर देती है। अब छोटे-छोटे घरों में रहने वाले लोग किस तरीके से इस लकड़ी का निस्तारण करेंगे। मजबूरीवश उनको लकड़ी को जलाना पड़ता है जिसके कारण अनावश्यक रूप से आसपास में धुआं पैदा होता है। और गहरा वायु प्रदूषण फैलता है।
महापालिका के अनुसार ईंधन हेतु लकड़ी नहीं जला सकते केवल शुद्ध ईंधन ही इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन इस लकड़ी का आदमी क्या करेगा?
क्या नगर महापालिका को इस पर ध्यान नहीं देना चाहिए। इसका एक कारण लाखों करोड़ों के योजनाओं में इधर उधर करने वाले अधिकारी कभी किसी बस्ती में तो जहां पर गरीब वर्ग रहता है यात्रा करते नहीं बस एसी में बैठ कर पर्यावरण की समस्याओं को हल करते हैं और नियम कानून बना देते हैं कोई जन सामान्य नियम कानून को तोड़ता है तो बस फिर उस पर फाइन करना जानते हैं। यह समस्या केवल नवी मुंबई कि नहीं मुंबई जैसे महानगरों में भी कई जगह यदा पैदा होती रहती है। सरकार को और महापालिकाओं को चाहिए इस विषय में कदम उठाते हुए कोई उचित योजना बताएं बनाएं कि जिससे कि पुराने फर्नीचर की लकड़ी का या तो सदुपयोग हो सके या निस्तारण हो सके अथवा इसको ईंधन के रूप में जलाने की अनुमति होनी चाहिए।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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