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By. जावेद बिन अली
राजस्थान : आज प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए न्यू पेंशन स्कीम एम्पलाइज फेडरेशन ऑफ राजस्थान के प्रदेश प्रवक्ता डॉक्टर अशोक जाट एवं भगवान सहाय देगडा ने बताया कि 1 जनवरी 2004 को तीनों सशस्त्र सेनाओं को छोड़कर, देश की चाक चौबंद सुरक्षा के लिए कुर्बान होने वाले अर्धसैनिक बलों एवं अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों सहित केंद्र, राजस्थान व पंजाब के लाखों कार्मिकों पर इस दिन नो पेंशन योजना (एनपीएस) थोपने की बरसी पर राजस्थान के 5 लाख सरकारी और 2 लाख अर्ध सरकारी कुल 7 लाख कार्मिक “राजस्थान सिविल सेवा पेंशन नियम, 1996” लागू करने की मांग को लेकर प्रान्त व्यापी हल्ला बोल आन्दोलन के तीसरे चरण में एक जनवरी 2022, शनिवार को प्रदेश के सभी जिला एवं खंड मुख्यालयों पर केंडल मार्च निकालकर राजस्थान सरकार को रोशनी दिखाएंगे । भरतपुर जिला समन्वयक मुकेश जघीना ने बताया कि भरतपुर में 1 जनवरी 2022, शनिवार को शाम 5 बजे किला स्थित शहीद स्मारक से केंडल मार्च निकला जायेगा ।
प्रदेश सभाध्यक्ष विशाल चौधरी एवं महासचिव राकेश कुंतल ने बताया कि नेशनल पेंशन सिस्टम में सेवानिवृत्ति के पश्चात मिलने वाली मासिक धनराशि को पीएफआरडीए एक्ट में कहीं भी पेंशन नहीं कहा गया है इस प्रकार स्पष्ट है कि एनपीएस नो पेंशन सिस्टम ही है । प्रदेश सोशल मीडिया प्रभारी रजनीकांत दीक्षित एवं प्रदेश सांस्कृतिक सचिव राजेन्द्र सिंह चारण ने बताया कि यदि एनपीएस बुढ़ापे में वास्तव में सामाजिक एवं आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती तो सशस्त्र सेनाओं के साथ माननीय उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीशों सहित राजनेताओं पर भी नवीन पेंशन योजना (एनपीएस) लागू होती। प्रदेश सलाहकार रजनीश खन्ना एवं चंद्रप्रकाश ने बताया कि एनपीएस में फंड निवेश प्रबंधन शुल्क लिया जाने लगा है जो सरासर अन्याय है।
प्रदेश मीडिया सचिव पंकज जैन एवं प्रदेश संयुक्त सचिव सुगन चंद मीणा ने एनपीएस की खामियों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि पुरानी पेंशन योजना में सामान्य प्रावधायी निधि, पेंशन कम्प्यूटेशन, पेंशन पर छमाही महंगाई भत्ता, नवीन वेतन आयोग द्वारा पेंशन बढ़ोतरी, असीमित मेडिकल सुविधा, उम्र के साथ दोगुनी तक अतिरिक्त पेंशन, अंतिम मूल वेतन के पचास प्रतिशत पेंशन की गारंटी उपलब्ध है जबकि एनपीएस में उपरोक्त सब से वंचित किया गया है ।
जिन्द्रपाल कस्वां, मौजी शंकर सैनी एवं प्रदेश प्रवक्ता भगवान सहाय ने बताया कि भारतीय संविधान के भाग 11 की 7 वीं अनुसूची के अनुच्छेद 245 से 255 के अनुसार पेंशन राज्य सूची का विषय है परन्तु केंद्र के दबाब एवं कॉर्पोरेट के साथ राजनैतिक पार्टियों से अनुचित सांठ गाँठ के चलते वर्ष 2004 में तत्कालीन वसुंधरा सरकार ने राजस्थान में एनपीएस योजना थोप दी थी जिसके दुष्परिणाम के रूप में 600 से 1200 रुपया मासिक पेंशन मिलने के उदाहरण सामने आ रहे हैं जिसको राजस्थान का कर्मचारी हरगिज बर्दाश्त नहीं करेगा ।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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