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By : विवेक सिंह
सेवराई : स्थानीय तहसील क्षेत्र के अमौरा गांव में किसानों से धान क्रय ना किए जाने के कारण आक्रोशित 2 दर्जन से अधिक किसानों ने शासन प्रशासन के विरुद्ध जमकर नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया। गौरतलब हो कि शासन द्वारा 1 नवंबर से ही धान क्रय की जाने के लिए केंद्रों का संचालन किया जा रहा है। लेकिन धान का कटोरा कहे जाने वाले सेवराई तहसील क्षेत्र के विभिन्न गांव में किसानों को आज भी अपने खून पसीने की कमाई को औने पौने दामों पर बिचौलियों के हाथों बेचने को विवश होना पड़ रहा है। वहीं क्षेत्र के अमौरा गांव में धान क्रय केंद्र नहीं खोले जाने के कारण सैकड़ों किसानों का हजारों कुंटल धान खुले आसमान के नीचे पिछले 1 महीने से पड़ा हुआ है। किसानों ने उच्च अधिकारियों एवं क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों पर अनदेखी का आरोप लगाते हुए जमकर नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया। किसानों ने संयुक्त रूप से किसानों से धान क्रय के लिए केंद्र खोलने की मांग की। इस बाबत डिप्टी आरएमओ रतन शुक्ला ने बताया कि इस बार पहले की अपेक्षा सेवराई में 7 नए केंद्र के साथ ही 20 केंद्र खोले गए हैं। अमौरा में रखरखाव की व्यवस्था सही नहीं होने के कारण केंद्र नहीं बनाया गया है। संबंधित किसान देवल अथवा किसी भी नजदीकी केंद्र पर अपनी इच्छा अनुसार धान विक्रय कर सकते हैं।
राम नारायण सिंह -(किसान) ने बताया कि विभागीय उदासीनता और लापरवाही के कारण अमौरा को इस बार केंद्र नहीं बनाया गया है जिससे किसानों को अपने धान विक्रय के लिए बिचौलियों को औने पौने दामों पर देना पड़ रहा है। करीब 1 महीने से 500 से अधिक किसान अपने 5000 कुंटल से अधिक की धान नियमित तौर पर खलिहान में विक्रय के आस में निगरानी कर रहे हैं।
ललित तिवारी - (किसान) सरकार किसानों के हितैषी होने का दावा तो कर रही है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है कई बार अधिकारियों से क्रय केंद्र लगाने की मांग की गई लेकिन आज 15 दिन से चक्कर काटने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हो रही है। हम अपने खून पसीने की कमाई को विक्रय के लिए दर-दर भटक रहे हैं।
मनोज सिंह -( किसान ) ने बताया कि 1 महीने से हम लोग धान की कटाई कराकर फील्ड में निगरानी कर रहे हैं। धान विक्रय ना होने के कारण रवि की फसल के लिए हमारे सामने धान के संकट आ गई है जिससे खेतों की जुताई बुवाई भी अभी नहीं हो पाई है यही स्थिति रही तो रवि की फसल के लिए हम पिछड़ जाएंगे।
रिंकू सिंह -(किसान) ने बताया कि करीब 500 से अधिक किसानों का 5000 कुंटल से ऊपर ध्यान खुले आसमान के नीचे महीनों से रखा हुआ है कई बार क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों एवं उच्च अधिकारियों को मामले से अवगत कराया गया लेकिन इसका कोई निराकरण नहीं निकला। चुनाव के दौरान नेता मीठी और लुभावनी बातें तो करते हैं लेकिन समय आने पर वह हम किसानों की कोई भी समस्या सुनने तक को तैयार नहीं होते।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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