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By.जावेद बिन अली
मऊ : विद्यालय खुलने के आह्वान पर कैसे पकड़ेंगे डगर जब घर से कदम कीचढ़ में रखने को मजबूर हैं इब्राहिमबाद गाँव के शिक्षक, कर्मचारी और बच्चे। । विकास की पोल खोलता गाँव विकास की हकीकत को दरसा रहा है। गाँव की हालात ऐसी कि घर से निकलना दूभर हो गया है। सौभाग्य से इस गाँव से कई लोग शिक्षक और शिक्षणेत्तर कार्यो में लगे हुए हैं पर दुर्भाग्य से वो घरों में नजरबंद होने की हालात में हैं क्यूँकि स्कूल के दरवाजे तक पहुंचने में उनकी खुद की पोशाक कीचढ़ में इतनी डूब जा रही है कि बच्चों को कुछ कह पाना मुश्किल है। बच्चे स्कूल जाने से कतराने लगे हैं। कई वर्षों से पूर्व सैनिक विनय कुमार इस मुद्दे को लेकर अवाज उठा रहे हैं जो मामला बिगड़ता देख पूर्व के प्रधान ने मिट्टी डलवाना शुरू किए तो कुछ उम्मीद जगी तब तक प्रधानी हाथ से निकल गई और कार्य अधूरा रह गया जिसका नतीजा आज पूरा रास्ता कीचढ़ और दलदल में तबदील हो गया है स्कूल भी खुल गया है।
नए प्रधान और जिला पंचायत तक अपनी धुन में हैं।ग्रामीण घरों में दबे बैठे हैं और बच्चे सही से विद्यालय जाने को तैयार नहीं हैं।ऐसे में कोई महिला या पुरुष गंभीर बीमार पढ़ जाए तो अनहोनी होनी तय है। शासन प्रशासन इसको जिम्मेदारी समझते हुए किसी अप्रिय घटना से पहले सबक लें और बच्चे शिक्षा से वंचित हों कठोर कदम उठाएं जाय। पूर्व सैनिक विनय कुमार पुलिस में सेवारत है और जब अपने परिवार से मिलने घर पहुंचे तो घर पहुँचने में गाड़ी तो दूर पैदल पैंट भी निकाल किसी तरह से घर पहुंचे। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि अगर हालात नहीं सुधरे तो पुलिस वर्दी में ही अनशन करने को मजबूर होना पड़ेगा।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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