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by : सुरेन्द सरोज
नवी मुंबई : आजादी हासिल करने में नेताजी की सोच दूसरे नेताओं से बिल्कुल अलग थी। उन्होंने देश को आजाद कराने का जो तरीका अपनाया उसी की वजह से अंग्रेज देश को छोड़ने में मजबूर हुए। सभी देशवासियों को गर्व महसूस होना चाहिए कि आज उनके द्वारा दिया गया नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया है। ऐसा उदगार सुप्रसिद्ध शायर व लेखक रियाज रहीम ने व्यक्त किए। वे नेताजी सुभाषचंद्र बोस स्मृति संस्थान द्वारा आयोजित नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की १२५ वीं जयंती समारोह को सम्मबोधित कर रहे थे। समारोह में फिल्म अभिनेता व उत्तर भारतीय नेता एस.सी.मिश्रा ने अपने जोशीले शब्दों में कहा कि आजाद हिन्द फौज को छोड़कर विश्व इतिहास में ऐसा कोई द्रष्टांत नहीं मिलता जहां तीस से पैतीस हजार युद्ध बंदियों ने मिलकर देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी हो।
इस अवसर पर जहां संस्था के अध्यक्ष विनोद प्रधान ने संस्था के सामाजिक कार्यकलापों की जानकारी दी वहीं वरिष्ठ कथाकार सेवासदन प्रसाद, नगरसेविका दिव्या गायकवाड़ व वैभव गायकवाड़, सरदार वल्लभ भाई पटेल संस्था के अध्यक्ष महेन्द्र वर्मा , सर्वधर्मीय विकास मंच के अध्यक्ष मेघनाथ भगत,जनकल्याण सामाजिक संस्था के महाराष्ट्र प्रभारी इस्माईल अंसारी,फिल्म निर्देशक उमेश पवार,लोकमत के नवी मुंबई ब्यूरो चीफ नामदेव मोरे, शिवसेना के शाखा प्रमुख दिलीप चरवड, पत्रकार अशोक शेश्वरे ने भी अपने विचार व्यक्त किए। समारोह में कवियत्री मीनू मदान कवि त्रिलोचन अरोरा ने जोशीले रचनाओं से तालियां बटोरी वहीं गायक प्रदीप वैश्विकर,शिखर सामाजिक संस्था के बच्चो ने भी देश भक्ति के गीत सुनाकर शमां बांध दिया। इस अवसर पर नेताजी को नमन करने के लिए वरिष्ठ पत्रकार सुरेश वड़वालकर,इंदर शर्मा,स्वर्णलता प्रधान सिध्दार्थ शर्मा,वंदना प्रधान,ऐश्वर्या प्रधान,शिखर संस्था के सचिन पाल, पूजा पाल, जनकल्याण सामाजिक संस्था के महासचिव सुरेन्द्र सरोज,मुकेश सोलंकी,उमेश शर्मा, के अलावा कई गणमान्य मोजूद थे समारोह का सूत्र संचालन पत्रकार मनीष अस्थाना ने तथा आभार प्रदर्शन बलदेव सिंह ने किया।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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