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प्रतापगढ़ : उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में एक दुखद घटना घटी है, जहां 9वीं कक्षा की छात्रा रिया प्रजापति ने अपनी जान दे दी क्योंकि उसके स्कूल ने फीस बकाया होने पर उसे परीक्षा से बाहर कर दिया और अपमानित किया।
यह घटना हमारी शिक्षा प्रणाली की विफलता को उजागर करती है। क्या यही है हमारी "नई शिक्षा नीति"? क्या यही है वो "समावेशी भारत", जहाँ हर बच्चा पढ़ने का अधिकार लेकर पैदा होता है? आज हम चाँद पर जा रहे हैं, AI में तरक्की कर रहे हैं, डिजिटल इंडिया बना रहे हैं, लेकिन क्या हमारी संवेदनाएं मर चुकी हैं?
उत्तर प्रदेश में प्राइवेट स्कूलों ने शिक्षा को कारोबार बना डाला है। मनमानी फीस, बिल्डिंग चार्ज, यूनिफॉर्म और बुक्स सेंटर के नाम पर लूट, और गरीब बच्चों के आत्मसम्मान को रौंदते शिक्षक और प्रबंधन - यह सब हमारी शिक्षा प्रणाली की विफलता को दर्शाता है।
रिया तो चली गई, पर सवाल छोड़ गई - कौन जिम्मेदार है उसकी मौत का? रिया जैसी हजारों बच्चे बच्चियां कहीं चुप हैं, कहीं टूट रहे हैं। यह समय है हमारे लिए अपनी संवेदनाओं को जगाने का, अपनी शिक्षा प्रणाली को सुधारने का, और हर बच्चे को समान अवसर प्रदान करने का।
यूपी सहित पूरे देश में प्राइवेट स्कूलों की जाँच होनी चाहिए। चाहे वह सीबीएसई से एफिलेटेड हों या यूपी शिक्षा बोर्ड से, अधिकतर अभिभावकों को लूटा जा रहा है। महंगी किताबें, अनाप-शनाप फीस वसूली, हर साल दाखिला शुल्क या वार्षिक शुल्क के रूप में वसूली - यह सब अभिभावकों के लिए एक बड़ा बोझ है।
दोषी पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। सभी अभिभावकों से अनुरोध है कि अगर आपके साथ ऐसा हो रहा है, तो जरूर आवाज उठाएं। आपके पास पैसा हो या न हो, आपकी आवाज से स्कूलों के भ्रष्टाचार पर लगाम लग सकती है। डरे नहीं, बहादुर बनें और अपने अधिकारों के लिए लड़ें।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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