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मुंबई : कनफेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट)के उपाध्यक्ष एवं ठाणे जिला होलसेल व्यापारी वेलफेयर महासंघ अध्यक्ष श्री सुरेश भाई ठक्कर ने कहा नेशनल फेडरेशन ऑफ को ऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज का कहना है कि पिछले सीजन की तुलना में इस बार कम इकाइयों में गन्ना की क्रशिंग हो रही है और इसकी मात्रा में भी कमी देखी जा रही है जिससे चीनी के उत्पादन में भारी गिरावट का रुख बना हुआ है।
फेडरेशन की रिपोर्ट के अनुसार इस बार गन्ना की क्रशिंग करने वाली चीनी मिलों की कुल संख्या 507 तक ही पहुंच सकी जबकि पिछले सीजन में 524 पर पहुंची थी। इस तरह चीनी मिलों की संख्या में 17 की गिरावट आ गई।
इसी तरह 1 अक्टूबर 2024 से 15 जनवरी 2025 के साढ़े तीन महीनों में राष्ट्रीय स्तर पर चीनी मिलों में गन्ना की कुल क्रशिंग घटकर 1482.14 लाख टन पर अटक गई जो 2023-24 सीजन की समान अवधि के दौरान हुई कशिंग की मात्रा 1612.83 लाख टन से करीब 130.70 लाख टन या 8.10 प्रतिशत कम है।
इसके फलस्वरूप समीक्षाधीन अवधि के दौरान चीनी का उत्पादन भी 151.20 लाख टन से 13.66 प्रतिशत या 20.65 लाख टन घटकर 130.55 लाख टन रह गया।इतना ही नहीं बल्कि गन्ना से चीनी की औसत रिकवरी दर भी 9.37 प्रतिशत से गिरकर 8.81 प्रतिशत पर अटक गई।
रिपोर्ट के मुताबिक 2023-24 के मुकाबले 2024-25 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन में मध्य जनवरी तक गन्ना की क्रशिंग यद्यपि उत्तर प्रदेश में 465.66 लाख टन से बढ़कर 473.48 लाख टन पर पहुंची मगर महाराष्ट्र में 589.94 लाख टन से लुढ़ककर 489.20 लाख टन, कर्नाटक में 322.92 लाख टन से गिरकर 318.82 लाख टन तथा गुजरात में 51.09 लाख टन से घटकर 41.11 लाख टन पर अटक गई।
बिहार, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, तैलंगाना एवं तमिलनाडु सहित अन्य उत्पादक प्रांतों में भी गन्ना की क्रशिंग में थोड़ा-बहुत अंतर देखा गया।
फेडरेशन का कहना है कि गन्ना की कुल घरेलू कशिंग में शीर्ष तीन उत्पादक राज्यों- उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र एवं कर्नाटक की संयुक्त भागीदारी पिछले सीजन के 85.47 प्रतिशत से सुधरकर इस बार 86.46 प्रतिशत पर पहुंच गई जिसका प्रमुख कारण इस बार गन्ना की कम मात्रा की क्रशिंग होना रहा।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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