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By : नवनीत मिश्र
गोरखपुर : दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास विभाग में तनाव प्रबंधन पर केंद्रित कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए अधिष्ठाता छात्र-कल्याण प्रो. अनुभूति दुबे ने कहा कि मध्यम स्तर का तनाव होना जरूरी है। उच्चतम स्तर की उत्पादकता के लिए मध्यम स्तर का तनाव (मॉडरेट) नुकसानदायक नहीं होता है। उदाहरण स्वरूप परीक्षा को लेकर विद्यार्थी का तनाव रचनात्मक भूमिका निभाता है।
प्रो. दुबे ने मौजूदा समय में तनाव एक बड़ी समस्या के रूप में रेखांकित हो रहा है। इसके पीछे सोशल मीडिया का ज्यादा इस्तेमाल एक बड़ा कारण है। लाइक डिसलाइक के भंवर जाल में फंसकर युवा अवसाद की स्थिति तक पहुंच रहा है। लोग सोशल मीडिया को कंट्रोल नहीं कर रहे हैं, बल्कि सोशल मीडिया लोगों को कंट्रोल कर रहा है। दिन में दो-चार बार गहरी सांसे लेना तनाव को कम करता है। उन्होंने कहा कि अवसाद से बचने के लिए संवाद जरूरी है।
उन्होंने कहा कि तनाव-प्रबंध हमारे जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है। वह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। तनाव के कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि काम का दबाव, व्यक्तिगत समस्याएं, आर्थिक समस्याएं आदि। इन कारणों को समझकर हम तनाव को कम करने के लिए कदम उठा सकते हैं। विभिन्न प्रकार से तनाव प्रबंध किया जा सकता है। जैसे कि ध्यान, योग, व्यायाम, समय प्रबंधन आदि। इससे हम अपने जीवन की गुणवत्ता में सुधार ला सकते हैं।
कलासंकाय के अधिष्ठाता प्रोफेसर राजवंत राव ने इस कार्यक्रम की आवश्यकता पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि दुनिया के आंकड़े बता रहे हैं कि अवसाद आने वाले समय में दुनिया की सबसे बड़ी चुनौती होगी। इस दृष्टि से हमें अपने भविष्य की चिंता करनी ही होगी। जो आज युवा हैं वही कल के भविष्य हैं। युवा अवसाद मुक्त होगा तो हमारा कल भी स्वस्थ और दुरुस्त होगा।प्राचीन इतिहास विभाग की अध्यक्ष प्रो. प्रज्ञा चतुर्वेदी ने स्वागत वक्तव्य रखते हुए कहा कि शोध के अच्छे परिणाम हेतु शोधार्थी का मानसिक रूप से स्वस्थ होना आवश्यक है। इस दिशा में आज के कार्यक्रम की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।इस दौरान विभाग के सभी सम्मानित शिक्षक गण एवं शोधार्थी उपस्थित रहे।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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