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सेवराई/गाजीपुर : स्थानीय तहसील के अति प्राचीनतम सेवराई गढ़ी ग्राम रामलीला समिति सेवराई द्वारा मंगलवार की रात्रि सीता हरण नामक लीला का जीवंत मंचन किया गया ।
नाक कान कटने के बाद सूर्पणखा इसकी खबर खर, दूषण व त्रिसिरा को जाकर बताती है । इस अपमान से बौखलाए खरदूषण व त्रिसरा राम से युद्ध करने के लिए चल देते हैं । युद्ध में श्री राम द्वारा तीनों का वध कर दिया जाता है । जब लंका नरेश रावण की बहन शूर्पणखा की नाक कटने की खबर जब रावण को सुनाती है तो रावण सुर्पणखा को खर-दूषण के पास जाने को कहता है । लेकिन जब सूर्पणखा द्वारा बताया जाता है कि खर दूषण को उन दोनों तपस्वी बच्चों द्वारा पहले ही बध करने की बात बताने पर रावण विचार करने लगता है मुझ जैसे बलवान खर दूषण को बिना नारायण के अवतार हुए किसी मानव द्वारा बध संभव नहीं है और यह ठान लेता है यदि भगवान का अवतार हुआ ही है तो मुझ जैसे तामसी शरीर से भजन तो होगा नहीं उनके हाथों ही मर करके अपने जीवन को सफल बना लूंगा । रावण शूर्पणखा को विश्वास दिलाता है कि इस नाक काटने का बदला हम दोनों उन दोनों तपस्वियों से जरूर चुकाऊंगा और रावण मामा मारीच के पास पहुंचकर सोने का मृग बनने के लिए कहता है जब मारीच को इस बात की जानकारी होती है कि उन्हें राम के सामने सोने का मृग बनकर जाना है जिनके बिना फर के बाण से 36 योजन दूर आ करके गिरा हूं तो रावण को समझाने लगता है । लेकिन रावण क्रोधित हो करके कहता है कि यदि मेरा साथ नहीं दोगे तो तुम्हें जान से मार दूंगा । मारीच विचार कर कि इस दुष्ट रावण के हाथों से मरने से अच्छा नारायण रुपी रामचंद्र के ही हाथों मरना अच्छा है । सोने का मृग बनने के लिए तैयार हो जाता है और पंचवटी के आसपास सोने का मृग बनकर के मडराने लगता है सीता जी ने सोने का मृग देख राम से कहा कि इनकी खाल शिकार करके लाइए इस कुटिया में इसका अच्छा श्रृंगार होगा । श्रीराम ने लक्ष्मण के हवाले सीता को करके मृग का पीछा करने चले जाते हैं मृग को राम का बाण लगते ही माया रूपी मृग हा लक्ष्मण और हा सीता की आवाज निकालता है । आवाज सुन सीता ने लक्ष्मण को राम के रक्षा के लिए भेजती है लक्ष्मण राम की सहायता के लिए उधर जाते हैं और इधर रावण साधु के भेष में भिक्षा मांगने पंचवटी के पास पहुंचकर छल से सीता का हरण कर लेता है ।आकाश मार्ग से सीता की आवाज सुन द्विध्दराज जटायु रक्षा के लिए झपडटते हैं । लेकिन रावण ने तलवार से जटायु के पंख को कतर पर घायल कर देता है। उधर जब राम और लक्ष्मण मृगचर्म को लेकर पंचवटी पहुंचते हैं तो सीता को नहीं देख व्याकुल होकर रोते बिलखते खोजने लगते हैं । होते होते घायल जटायु से श्री राम का भेंट होता है और जटायु द्वारा बताया जाता है कि जगत जननी सीता का हरण रावण करके लंका की तरफ ले गया है श्री राम द्वारा जटायु को सीधे मोक्ष देते है ।जिसे देखकर लीला प्रेमियों की आंखे नम हो गयी । राम की भूमिका में रजनीश सिंह,लक्ष्मण सूरज सिंह सीता लालू यादव, रावण उर्मिलेश सिंह,खर प्रिंस लाल,दूषण रजत राज, त्रिसरा विशाल, मारीच की भूमिका गोपाल यादव ने निभाई ।इस मौके पर श्रीराम सिंह, अभिमन्यु सिंह,अध्यक्ष संजय सिंह, उपाध्यक्ष रामप्रताप सिंह,सचिव सकरवार सुमन्त सिंह ,उपसचिव सत्यजीत उर्फ नन्हे सिंह,अरुण सिंह, निर्देशक गौरव सिंह, रामअवधेश शर्मा, अश्वनी ,संजय, शिवम,बाबूलाल, रामनिवास कुशवाहा,अनील नंबूटन आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे ।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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