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चंदौली : विश्वास वह छोटा सा शब्द है। जिसके भरोसे इंसान बड़ा से बड़ा काम भी बहुत ही आसानी से कर लेता है। वो कहते हैं , ना जहां चाह है, वहीं राह है। "पर ये चाह और राह इतना आसान नहीं होता। इस राह में हमें बहुत ही मुश्किलों का सामना भी करना पड़ता है। और उन मुश्किलों में सबसे बड़ा मुश्किल है, ' विश्वाश ।आज का आगे बढ़ता समाज अपने आप को इतना पीछे करता जा रहा है। की वह कब कहां कैसे किस मोड़ पर किसका भरोसा तोड़ देगा , हमें पता भी नहीं लगेगा। विश्वास बिना मिलावट की ऐसी शक्ति है। जिसके बलबूते पर एक छोटे बच्चे से लेकर , बड़े बुजूर्ग , पशु से लेकर, पक्षी तक सभी प्राणी अपने आप को आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं। और आगे भी बढ़ते हैं।
"एक कहावत है उम्मीद पर दुनिया कायम है।जो बिल्कुल सत्य प्रतिशत सत्य कहावत है।"इस अब यह कहावत किस्से और कहानियों में ही रह गया है। हमारे समाज में इसका काम बस नाम मात्र का ही रह गया है । विश्वास हमारे मस्तिष्क का वह शक्ति है ।जिसके द्वारा इंसान, बुरे से बुरे चुनौतियां से लड़ने की शक्ति रखता है। जैसे हम लोग अपनी प्राकृतिक चीजों को तो नष्ट करें रहे हैं। अपने पर्यावरण से दूर कर रहे हैं।ठीक उसी प्रकार हम अपने व्यक्तित्व के अहम गुणों को भी, अपने आप से अपने परिवार से अपने समाज से दूर कर रहे हैं। , ईमानदारी विश्वास, संस्कार सच्चाई प्रेम , यह हर व्यक्ति के व्यक्तित्व की शक्तियां होती हैं।
पर अफसोस ,हम इन्हें ऐसे ही यूं बर्बाद कर देते हैं। आज हम हम सब इन सब से इतना आगे निकल चुके हैं। की ,चाहते हुए भी , ये सब शक्तियां व्यक्ति के अंदर टीक ही नहीं सकती। हमारे समाज में धोखा और अविश्वास का बीज इतना बुरी तरह से बो दिया गया है। जिससे हम कभी कभी खुद अपने आप पर ही विश्वास नहीं कर पा रहे हैं। जो इंसान किसी के लिए कुछ नहीं कर सकता। वो इंसान लाख गुना बेहतर है । उस इंसान से, जो किसी के विश्वास को तोड़कर , उसके जीवन को विकास को रोक तो नहीं रहा है। विश्वास जैसे बेशकीमती शक्ति का दुरुपयोग तो नहीं कर रहा है। नहीं कर सकते तो
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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