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नवी मुंबई: अपने लालच के कारण सिडको ने विकास के क्रम में किसी व्यापारी की भांति धन के लालच में सारी की सारी जमीन भवन निर्माताओं को बेच दी और किसी भी नगर की प्लानिंग में किसी भी पशु अथवा गाय के लिए कोई भी न जगह दी और न ही इसकी व्यवस्था की। ज्ञात हो नवी मुंबई की भांति पनवेल में भी सिडको ने जब 95 गांवों की जमीन को खरीदा था तब गांव वालों ने अपने गोधन को सड़कों पर छोड़ दिया था। बेघर और आवारा गाय की अनेकों मौत के बाद समाज सेवक अरुण गोरे ने जो कि गोपालन और गोसेवा से जुड़े हुए थे सड़कों पर गौ सेवा करना आरंभ की और धीरे-धीरे पनवेल में गोवर्धन रक्षण संवर्धन संस्था के रूप में ट्रस्ट की स्थापना हुई जो सिडको के क्षेत्र में भटकती हुई गाय को आश्रय देते हैं और गैर व्यवसायिक रूप से कमजोर और कृष गाय को सहारा देते हैं।
अपनी एक भेंटवार्ता में अपने ट्रस्ट गर्वित के माध्यम से गौ सेवा पर और सर्वेक्षण पर निकले विपुल लखनवी के साथ अरुण गोरे ने यह शब्द बोले। दुखद तो यह है कि इस पर राज्य सरकारें केंद्र सरकारें केवल गो मांस के भक्षण को बढ़ावा देती रही लेकिन गाय के संरक्षण पर कोई ध्यान नहीं दिया। उसी तरह खारघर में भी अथवा सीबीडी बेलापुर में भी सिडको के लालच में गोधन को बेबस और लाचार बना दिया था लेकिन धन्य हो कुछ गोसेवक जिनके कारण आवारा और लावारिस कमजोर बेबस गौ माताओं को सहारा दिया जा रहा है। ग्रामीण आदि रिसर्च एवं वैदिक इन्नोवेशन ट्रस्ट यानी गर्वित भारत के संयोजक अध्यक्ष विपुल लखनवी गौ सेवा के अंतर्गत नवी मुंबई के आसपास के क्षेत्रों में गैर व्यवसायिक गौशालाओं को ढूंढ कर जनता के सामने लाने का प्रयास कर रहे हैं जिससे एक तरफ तो गौ प्रेमियों को गौ सेवा के लिए भटकना न पड़े और साथ ही गौ सेवकों को आर्थिक सहायता प्राप्त हो सके।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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