बिन दहेज की शादी, कायम की मिसाल

By: Nooman Babar
Feb 24, 2023
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सेवराई : (गाजीपुर) मुस्लिम समाज में एक शादी ऐसी भी हुई, जिसमें  शरीयत के एतबार से तमाम रस्मों की अदायगी हुई, लेकिन सादगी के साथ। न बाराती न बैंड बाजा बिना दहेज की शादी मिसाल बन गई। शादी में बढ़तें खर्चे व दहेज प्रथा जैसी कुरीति को रोकने के लिए लड़कें वालों ने यह पहल की। बारा गांव में सादगी के साथ संपन्न हुई यह शादी चर्चा का विषय बनने के साथ - साथ लोगों के लिए प्रेरणा बन गई।

बारा गांव के रिट्ठीं मोहल्ला निवासी इसरार खान के पुत्र तौशीफ खान ने परिजनों की रजामंदी से बिन दहेज की शादी कर समाज में एक मिसाल कायम की है। शादी में दुल्हे पक्ष ने एक रुपये भी दहेज में नहीं लिया, न ही किसी तरह का कोई सामान लिया। खास बात यह है कि यह रिश्ता जिन दो परिवारों के बीच हुई वो दोनों ही संपन्न परिवार है। बारा गांव निवासी इकराम खान की पुत्री अकबरी खातून की शादी बारा के रिट्ठी मोहल्ला निवासी इसरार खान के पुत्रतौसीफ़ खान के साथ हुई। तौसीफ पेशे से इंजिनियर हैं। वे सऊदी अरब के कतर में नौकरी करते हैं। तौसीफ ने दहेज नहीं लेने की बात परिवार में कही। तौसीफ की समाज के प्रति सोच से परिवार भी प्रभावित हुआ। इसके बाद लड़की पक्ष के काफी कोशिश करने के बाद भी तौसीफ ने बिन दहेज लिए सादगीपूर्ण तरीके से दुल्हन को अपने घर ले आए। समाज में आ रहे ऐसे बदलाव को लेकर अनुकरणीय पहल बताते हुए दहेज जैसी कुप्रथा को बंद करने की बात करते हुए बिना दहेज के हुई शादी की सराहना की। वहीं, तौसीफ दूसरे युवाओं को भी बिना दान - दहेज की शादी करने के लिए जागरूक कर रहे हैं। उनका कहना है कि शादी की रस्म अदायगी सादे तरीके से भी हो सकती है। इससे गरीब की बेटी की वक़्त पर शादी हो सकती है। शादी - विवाह में फिजूलखर्ची लोग अपनी शान समझते हैं। यह नहीं सोचते कि गरीब और मध्यम वर्ग की बेटी वक़्तं पर इस वजह से विदा नहीं हो पाती।

शादी में दहेज और फिजूलखर्ची के नुकसान

निकाह महंगे होने से गरीब की बेटियां घर बैठी हैं।

बदकारियां और जिना ( अनैतिक संबंध) आम हो गई है। शरीयत में हुक्म है निकाह इतना आसान करो कि जिना मुश्किल हो जाए।

बेटियों की शादी के लिए बाप जिदगीभर मेहनत करता है। इसके लिए गलत काम और रिश्वतखोरी आम होने लगी। ब्याज पर पैसा लेकर बेटी की धूमधाम से शादी करके विदा करता है। फिर जिदगीभर उसे चुकाता है।

बेटी की शादी में सारी जमा-पूंजी लगाने के बाद बेटे का निकाह तक मुश्किल हो जाता है और फिर वही बेटा अपने ससुराल वालों से दहेज मांगता है।

दहेज की वजह से औरतें जुल्म का शिकार होकर खुदकुशी तक कर रहीं हैं।

बेटियों को दीन और दुनियावी तालीम दें। इतना शिक्षित बनाएं कि बड़े से बड़ा काबिल उससे निकाह करना चाहे।

सुन्नत निकाह की अहमियत को समझें और इसे आम करें। दहेज और फिजूलखर्ची जैसी लानत से पूरे समाज को बचाने की कोशिश करें।


Nooman Babar

Reporter - Khabre Aaj Bhi

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