नहीं रहे शायर ज़ुबैर ख़ाँ दिलदारनगरी,सूना हो गया शायरी में दीनदार ख़ाँ का कुम्बा

By: Izhar
Jun 30, 2022
711

अब कौन सुनाएगा नीम के दरवाज़े पर नज़्म, ग़ज़ल और गीत?

दिलदारनगर : उत्तर प्रदेश जनपद ग़ाज़ीपुर के तहसील सेवराई अन्तर्गत थाना दिलदारनगर गांव निवासी, सेवानिवृत्त रेलवे अधिकारी, वरीय सहायक वित्त सलाहकार पूर्व मध्य रेलवे मुगलसराय, मशहूर शायर, हाजी "ज़ुबैर ख़ाँ 67 वर्षीय का 29 जून शाम लगभग 5 बजकर 30 मिनट पर वाराणसी के एक अस्पताल में इलाज के दौरान देहांत हो गया। शुगरयुक्त शरीर पिछले कुछ दिनों से हार्ट अटैक के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

ज़ुबैर ख़ाँ पुत्र स्व0 दाऊद ख़ाँ का दिलदारनगरी, दिलदारनगर के स्थापना कर्ता मुहम्मद दीनदार ख़ाँ उर्फ कुँअर नवल सिंह, परगना ज़मानियाँ के मुग़लिया जागीरदार के दसवें वंशजो में आते थे। रेलवे में नौकरी के दौरान ही आपको शायरी का शौक़ परवान चढ़ा। रिटायर होने के बाद आपकी लिखी नज़्में, गज़लें और गीत अलग-अलग पत्र पत्रिकाओं एवं साहित्यिक, ऐतिहासिक पुस्तकों में छपने लगे थे। आये दिन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तथा यूट्यूब चैनल पर गीत और ग़ज़ल सुनने को मिल जाते थे। क्षेत्रीय साहित्यिक मंचों पर आपका शायराना अंदाज़ देखने और सुनने को अक्सर मिल ही जाते थे। अल् दीनदार शम्सी म्यूज़ियम एंड रिसर्च सेंटर के संग्रहकर्ता एंव निदेशक कुँअर नसीम रज़ा ख़ाँ ने बताया कि हमारे पूर्वज के परिवार, दीनदार ख़ाँ के कुम्बा में बड़े भाई साहब एकलौता शायर बचे थे। अब इनकी जगह भरना, इनके जैसा होना इस दौर में मुमकिन नहीं। सदियों में एक शायर पैदा होता है, ज़ुबैर भाई इतिहास के पन्नों में अमर हैं। इन्हें शायरी का इस हद तक जुनून सवार था कि जब भी मौजूदा हालात पर नयी ग़ज़ल, गीत या नज़्में लिखा करते थे तो खानदानी नीम के दरवाज़े पर अपने बड़ों और छोटों के बीच भरपूर आनंद के साथ सुनाया करते थे और लोग इनके शायराना अंदाज़ पर वाह! वाह! बहुत खूब! कहकर हिम्मत व हौंसला अफ़जाई किया करते थे। अब हमेशा के लिए इनकी आवाज़ सुनने के लिए सुना हो गया नीम का दरवाज़ा, अब कौन सुनाएगा नज़्म, ग़ज़ल और गीत! 

ग़मगीन हो गया कुम्बा दीनदारिया परिवार।

पिछले साल अपने पूर्वजों की शानदार गाथा पर आपकी लिखी एक नज़्म, मनक़बत- बज़्मे-दीनदार (नवल सिंह) नाम से ऐतिहासिक पुस्तक 'स्मारिका' "मुहम्मद दीनदार ख़ाँ : एक मुग़लिया जागीरदार" के पृष्ठ 177 पर प्रकाशित हुआ था। एक पुस्तक भारत के सर्वश्रेष्ठ शायरों की शायरी संग्रह में "ज़िन्दगी की तलाश में..।" भी आपकी कई गीत और ग़ज़लें प्रकाशित हुए हैं। ज़ुबैर ख़ाँ दिलदारनगरी की सैकड़ों रचनाओं का संग्रह अभी डायरी में अप्रकाशित हैं बहुत जल्द ही मंज़रे आम पर लाने का प्रयास किया जाएगा। ज़ुबैर ख़ाँ दिलदारनगरी अपने पीछे एक बेटी, तीन बेटे मां, पत्नी, बहू, भाई, नाती, पोतों समेत भरा पूरा परिवार छोड़ कर दुनियां को अलविदा कह गये। इनके परिवार वालों को अल्लाह पाक सब्र दे।आपकी नमाज़े-जनाज़ा 30 जून दिन जुमेरात  बाद नमाज़ ज़ुहर 3 बजे पशु-मेला-दिलदारनगर, पुश्तैनी "कब्रिस्तान बाग़ दीनदारिया" के सहन में अदा कर दफ़्न किए जाएंगे।


Izhar

Reporter - Khabre Aaj Bhi

Who will win IPL 2023 ?