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By: विवेक सिंह
गहमर: क्षेत्र के श्री दुर्गा पूजा समिति पचौरी के द्वारा शारदीय नवरात्रि के अष्टमी को एक भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें देश के सुप्रसिद्ध कवियों ने अपनी कविताओं से उपस्थित श्रोताओं का मनोरंजन के साथ समाज के संदेश देने का काम किया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व पर्यटन मंत्री ओमप्रकाश सिंह रहे।
बुधवार की रात क्षेत्र के श्री दुर्गा पूजा समिति पचौरी के द्वारा प्रथम दिन मां दुर्गा की स्थापना विधिवत वैदिक मंत्रों से की गई। आरती के पश्चात दुर्गा पूजा के रंगमंच से एक अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसने जनपद के अलावा सुदूर प्रांतों से आए कवियों ने अपनी कविताओं से श्रोताओं को बांधे रखा। कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती की वंदना से हुई। सर्वप्रथम रजनीश उपाध्याय भोलू ने अपनी भोजपुरी कविता-" हमार अखाड़ा हमारे दंगल हमहिं करब मेजबानी, पुरुष सीट चल गईल त का मेहरी लड़ी प्रधानी" सुना कर श्रोताओं का मनोरंजन किया। ओज व्यंग्यकार कुमार प्रवीण ने अपनी रचना- "भजनों का स्वर झंकृत होवे प्रातः काल अजानों में, अभयारण्य बने गांवों का सारे बूचड़खाने में" सुना कर कार्यक्रम को ऊंचाई प्रदान की। बनारस की धरती से पधारे युवा कवि अंबुज मिश्रा के मुक्तक-" बात कहनी थी दिल की वो कह ना सके ,दर्द ऐसा मिला है जो सह ना सके, तुम तो अपने शहर में हो आराम से चैन से हम बनारस में रह न सके" सुना कर तालियां बटोरी।
प्रसिद्ध हास्य कवि फजीहत गवरी ने श्रोताओं को अपनी हास्य व्यंग्य की रचनाओं से काफी देर तक बांधे रखा। उनकी कविता-" पत्नी हो रणचंडी का छोटा ससुरा सार, मिले सास खूंखार ले हास्य कवि अवतार" पर खूब तालियां बाजी। बिहार से पधारी सुप्रसिद्ध कवियत्री नेहा सिंह राठौर ने सोशल मीडिया पर अपने चर्चित गीत- "साहेब के पागल पागल दाढ़ी कि दरिया कमाल कईले बा"," बिहार में काबा" आदि गीतों को सुना कर खूब वाहवाही लूटी। बनारस की धरती से आये प्रसिद्ध हास्य कवि डंडा बनारसी ने अपनी रचना "खानदान" "प्रेमिका" "लात "आदि सुना कर श्रोताओं का भरपूर मनोरंजन किया। उनकी रचना- "ससुर मेरे बिहारी हैं वो दिन को रात कहते हैं, वो भूसा खा गए पूछा तो उसको भात कहते हैं" को युवाओं ने खूब सराहा।ओजस्वी रचनाकार हेमंत निर्भीक की कविता-"तिरंगे में लिपटकर देख तेरा लाल आया है,नालायक जिसको कहती थी वतन के काम आया है" सुनाकर माहौल को गंभीर कर दिया।
कार्यक्रम का कुशल संचालन कर रहे मिथिलेश गहमरी की कविता-" लोकतंत्र के लोकलुभावन कुर्सी वाले नारों से, मुक्ति मिलेगी देश को कब खद्दर में छुपे गद्दारों से"पर खूब वाहवाही मिली।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व पर्यटन मंत्री ओम प्रकाश सिंह ने सभी आमंत्रित कवियों को माल्यार्पण एवं अंगवस्त्रम से सम्मानित किया अपने उद्बोधन में मुख्य अतिथि ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण होता है। जैसा हमारा समाज होता है साहित्यकार,कलमकार अपनी कविताओं एवं रचनाओं के माध्यम से हमें दिखाते हैं। ये लोकतंत्र के चौथे स्तंभ हैं। कवियों की परंपरा एवं इतिहास काफी प्राचीन रहा है। किसी जमाने में यह राजाओ का मार्गदर्शन किया करते थे। आज इस ग्रामीण इलाके में आए हम सारे कवियों का हृदय से अभिनंदन एवं स्वागत करते हैं। उक्त अवसर पर समिति के अध्यक्ष सोनू सिंह रवि उपाध्याय विजय नारायण उपाध्याय ग्राम प्रधान विनय गुप्ता विकास सिंह सिंटू जय हिंद गुप्ता आदि लोग मौजूद रहे।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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