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By:जावेद बिन अली
राजस्थान जयपुर :आज दिनांक २३ जुलाई २०२१ को न्यू पेंशन स्कीम एम्प्लाइज फेडरेशन ऑफ राजस्थान के प्रदेश महासचिव राकेश कुमार ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए बताया कि राजस्थान सहित भारत वर्ष के जनवरी २००४ के बाद नियुक्त कर्मचारी १५ अगस्त २१ स्वतंत्रता दिवस को पुरानी पेंशन योजना को दोबारा लागू किये जाने की मांग को लेकर ट्विटर पर चलाये जा रहे अभियान से बड़ी संख्या में जुड़ेंगे। पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की मांग को लेकर एनपीएसईएफआर ने ट्विटर पर एनपीएस भारत छोड़ो महाअभियान शुरू किया है। देशभर के ७५ लाख सरकारी कर्मचारी - अधिकारी नवीन अंशदायी पेंशन योजना नामक म्यूच्यूअल फंड योजना का दंश झेल रहे हैं, जो कि पेंशन योजना नहीं है तथा जिसमे लम्बी सेवा अवधि के बाद भी सेवानिवृति पर महज ६०० से ९०० रूपये मासिक पेंशन मिलने के उदाहरण देश भर में मिलने से कर्मचारियों में भारी रोष व्याप्त हैं ।
प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र शर्मा ने अभियान की जानकारी देते हुए कहा, केन्द्र सरकार ने कॉर्पोरेट जगत को खरबों रूपये के पेंशन फंड को हडपने की छूट देने के लिए १९७२ के केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम के स्थान पर १ जनवरी २००४ से भारत की सेना को छोड़कर अर्धसैनिक बलों सहित सरकारी नौकरी में आये केन्द्रीय कर्मचारियों के लिये नई पेंशन योजना शुरू की जिसका केंद्र की कॉर्पोरेट हितेषी सरकारों के दबाब में पश्चिम बंगाल के अलावा सभी राज्य सरकारों ने अंधानुकरण करते हुए एक-एक करके अलग अलग तिथि से अपने राज्यों में अंशदायी पेंशन योजना को लागू किया।
प्रदेश समन्वयक विनोद कुमार ने कहा कि भारतीय संविधान भाग ११ की सातवीं अनुसूची में अनुच्छेद २४५ -२५५ राज्यों और संघ के मध्य के अधिकारों को उल्लिखित करती है जिसके अनुसार केंद्र-राज्य संबंध तीन भागों संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची में विभाजित हैं । न्यू पेंशन स्कीम राज्य सूची के विषय - पेंशन पर केंद्र का अतिक्रमण है जिसका राज्य सरकारों को भी खुला विरोध करना चाहिए ।
वर्ष २००९ में इसे न्यू पेंशन योजना (एनपीएस) की जगह नेशनल पेंशन योजना (एनपीएस) नाम दिया जाकर, केंद्र व राज्य के सरकारी कार्मिकों के अलावा कॉर्पोरेट कर्मचारी जगत सहित आम नागरिकों के लिए भी खोल दिया गया जबकि यह पेंशन योजना न होकर एक म्यूच्यूअल फंड योजना है जिसमे शेयर मार्केट निवेश जोखिम होने के बाबजूद वर्ष २०१३ में संसद द्वारा पारित पेंशन फंड विनियामक और विकास प्राधिकरण एक्ट द्वारा न्यनतम रिटर्न की कोई गारंटी प्रदान नहीं की गयी है एवं किसी का भी निवेश सुरक्षित नहीं है
उन्होंने कहा कि इसके अलावा एनपीएस में कई और दिक्कतें हैं। इसमें महंगाई भत्ते में होने वाली बढ़त के मुताबिक संशोधन का कोई प्रावधान नहीं है, जबकि पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी को साल में दो बार संशोधित महंगाई भत्ते का लाभ मिलता था। संगठन केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए शेयर बाजार से जुड़ी पेंशन योजना का समर्थन नहीं करता है। इन्हीं मांगों को ध्यान में रखते हुए । १५ अगस्त को ट्विटर पर एनपीएस भारत छोड़ो महाअभियान रहेगा। देशभर में हेश टैग #NPS_QUIT_INDIA को अधिक से अधिक बार ट्वीट और रीट्वीट कर ट्रेडिंग अभियान चलाया जाएगा।
फेडरेशन के नेताओं ने एनपीएस भारत छोड़ो आंदोलन की तर्ज पर कर्मचारियों से ट्विटर महाअभियान में जुड़ने का आव्हान करते हुए बताया कि कोरोना महामारी के इस दौर में हुक्मरानों तक अपनी आवाज को पहुंचाने का यह बेहतरीन माध्यम है।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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