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जौनपुर : जिदगी के लिए सात दिन से जंग लड़ रहा राजवीर सिंह भी आखिरकार मौत से हार गया। बुधवार की सुबह बीएचयू ट्रामा सेंटर में इलाज के दौरान उसकी सांसों की डोर टूट गई। इसी के साथ वाराणसी-लखनऊ राष्ट्रीय राजमार्ग पर गत १३ जुलाई को जलालपुर थाना क्षेत्र के असबरनपुर के पास ट्रक से हुई टक्कर में ब्रेजा सवार छह लोगों में से बचा अंतिम प्रत्यक्षदर्शी भी इस दुनिया से चला गया। ऐसे में मरने वालों की संख्या अब छह हो गई है।
सिकरारा थाना क्षेत्र के बांकी गांव से १२ जुलाई को चंदौली गई बरात में शामिल होकर ब्रेजा कार से दूल्हे के चाचा व दो सगे भांजों समेत छह लोग लौट रहे थे। असबरनपुर में गिट्टी लदे ट्रक की जोरदार टक्कर से कार के परखचे उड़ गए थे। दर्दनाक हादसे में कार चला रहे दूल्हे के चाचा बृजेश कुमार सिंह उर्फ नन्हकऊ, उनके भतीजे शाश्वत सिंह उर्फ छोटू, बांकी गांव निवासी पुरोहित बृजराज मिश्र उर्फ हौसिला मिश्र, दूल्हे के दो भांजों मुंगराबादशाहपुर थाना क्षेत्र के सराय डींगुर गांव निवासी अनुग्रह सिंह व प्रभुदेव की मौके पर ही मौत हो गई थी।
कार की बाडी काटकर बांकी गांव के सुरेंद्र प्रताप सिंह उर्फ सूरज का इकलौता बेटा राजवीर सिंह मरणासन्न अवस्था में निकाला गया था। उसे जिला अस्पताल से बीएचयू ट्रामा सेंटर रेफर किया गया था। उसके शरीर में ३२ स्थानों से हड्डियां टूट गई थीं। जान बचाने के लिए डाक्टरों ने आपरेशन भी किया था। इसके बाद राजवीर की हालत में सुधार के कुछ लक्षण दिखे थे लेकिन बुधवार की सुबह राजवीर पर मौत भारी पड़ गई। मौत की खबर आते ही घर में कोहराम मच गया। पूरे गांव का माहौल एक बार फिर मातमी हो गया। घर पर मौजूद रोते-बिलखते स्वजन व गांव के कुछ संभ्रांतजन वाराणसी रवाना हो गए। पार्थिव शरीर घर लाने की बजाय पोस्टमार्टम के बाद काशी में मणिकर्णिका घाट पर दाह संस्कार कर दिया।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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