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( संवाददाता द्वारा)
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी भगवान परशुराम की मूर्ति लगाने की बात कह रही है. वहीं दूसरी तरफ बहुजन समाज पार्टी भी ब्राह्मण वोट बैंक को देखते हुए सवर्ण समाज पर डोरे डाल रही है। इस खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए सवर्ण महासंघ फाउंडेशन के मुंबई के मीडिया प्रभारी अशोक तिवारी ने कहा है कि सपा और बसपा जैसी पार्टियां अगर भगवान पाराशुराम को सम्मान देना चाहती है तो उनका स्वागत है लेकिन पिछले २७ वर्षों के शासन के दौरान सपा और बसपा का यह ब्राह्मण प्रेम क्यों नहीं जागा। अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री रहने के दौरान अपने कार्यकाल में यह मौखिक आदेश दिया था कि ब्राह्मणों का काम कोई भी मंत्री ना करें। ऐसे में अब क्या मजबूरी आ गई जो दोनों ही पार्टियां ब्राम्हण और सवर्ण समाज के हित की बात अचानक करने लगी है।
तिवारी ने आगे कहा कि समाज समाज के हित की बात करने वाली सपा और बसपा का सम्मान सवर्ण समाज तभी करेगा जब वे सार्वजनिक तौर पर आरक्षण जो समाज के लिए अभिशाप है उसे खत्म करने की मांग करें तथा चुनावी घोषणा पत्र में यह दावा करें कि उनकी सरकार आने पर जातिगत आरक्षण को खत्म कर दिया जाएगा। तिवारी ने दावा किया कि सवर्ण महासंघ फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री गजेंद्र मणि त्रिपाठी बरसों से सरकार से मांग करते आ रहे हैं कि जातिगत आरक्षण को समाप्त कर आर्थिक आरक्षण लागू किया जाए। जो भी पार्टी इस मांग को आएगी उसके बारे में सवर्ण समाज जरूर सोचेगा।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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