जौनपुर मेडिकल कालेज के आगे के निर्माण के लिए नही है प्रदेश सरकार के पास फंड, ठेकेदारों ने रोकी निर्माण सामग्री भेजना

By: Khabre Aaj Bhi
Jan 01, 2019
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रियाजुल हक
जौनपुर : सिद्दीकपुर में निर्माणाधीन राजकीय मेडिकल कॉलेज के लिए अभी लंबा इंतजार करना होगा। निर्माण के लिए जरूरी बजट का भुगतान सरकार ने रोक दिया है। पैसा न मिलने से ठेकेदारों ने मैटेरियल सप्लाई बंद कर दी है। उनका साफ कहना है कि भुगतान नहीं तो सामान नहीं। हाल ये है कि निर्माण कार्य बंद होने की कगार पर पहुंच गया है।
मेडिकल कालेज की ओपीडी 2015 में घोषणा के साथ एक वर्ष में चालू करने का अखिलेश सरकार ने दावा किया था। तीन वर्ष बीत गए, लेकिन अभी आधा काम नहीं हो सका। वर्ष 2015 में समाजवादी पार्टी के मुखिया पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जौनपुर जिले को मेडिकल कॉलेज की सौगात दी थी। उस समय सरकार ने अनुमानित लागत 554 करोड़ रुपये तय की थी। उसी समय निर्माण के लिए 137 करोड़ रुपए जारी भी कर दिए थे। शुरुआती दौर में काम काफी तेजी से चला। करीब एक हजार श्रमिक काम कर रहे थे। समय बीतने के साथ पैसों की तंगी शुरू हो गई। कंपनी ने श्रमिकों के भुगतान में देरी शुरू कर दी। इससे परेशान मजदूर काम छोड़कर भागते गए। कई बार बकाया भुगतान के लिए श्रमिक, ठेकेदार और निर्माण से जुड़ी कंपनियों के कामगारों ने गेट बंद कर प्रदर्शन भी किया। जिसका बदली हुई सरकार पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा। कार्यदायी संस्था राजकीय निर्माण निगम के आश्वासन पर टाटा प्रोजेक्ट कंपनी ने एक साल से निर्माण शुरू किया। अब तक आधे से ज्यादा काम हो चुका है, लेकिन इस सरकार में भी सिर्फ 57 करोड़ रुपये ही जारी हो पाया। हालत ये है कि इस समय धन के अभाव में निर्माण मैटेरियल सप्लायरों ने निर्माण कंपनी को सामग्री सप्लाई रोक दी है। इस वजह से काम की रफ्तार ठप सी पड़ गई है। नामकरण के बाद बढ़ी रफ्तार हुई धीमी तीन माह पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मेडिकल कालेज के नामकरण की घोषणा मंच से की थी। जिसके बाद लोगों की उम्मीदें और काम की रफ्तार काफी बढ़ गई थी। हालांकि पहले 28 बिल्डिगों में एक साथ निर्माण कार्य चल रहा था। इन दिनों सिर्फ हॉस्पिटल, एकेडमिक बिल्डिग व हॉस्टल की चुनाई और प्लास्टर में सिर्फ 50 श्रमिक काम कर रहे हैं।
बैठकों तक सीमित शासन- प्रशासनटाटा प्रोजेक्ट कंपनी के जिम्मेदार अधिकारी की सूने तो सरकार निर्माण के नाम पर सिर्फ हल्ला मचा रही है।मंत्री और जिला प्रशासन के लोग निरीक्षण और बैठकें ही करते हैं। अब तक कुल 194 करोड़ रुपये जारी हुआ है। 800 करोड़ रुपये की बिल कार्यदायी संस्था और शासन को भेजी गई है। इसके बाद भी भुगतान नहीं हो रहा है। फिलहाल, टाटा कंपनी शासन-प्रशासन के आश्वासन पर आधे से ज्यादा काम कर चुकी है।


Khabre Aaj Bhi

Reporter - Khabre Aaj Bhi

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