चार लाख की लागत से बना भूकंपरोधी कक्ष हुआ धराशायी बाल - बाल बचे मासूम

By: Riyazul
Nov 04, 2018
320

जौनपुर -बरसठी स्थानीयविकास खंड के बेलौनाकला (कोटिया) के प्राथमिक विद्यालय में लगभग चार लाख की लागत से बना भूकंप रोधी कक्ष आज दिन में बारह बजे भरभरा कर धराशायी हो गया। भगवान का शुक्र रहा कि कोई बच्चा मलबे की चपेट में नही आया, नही तो किसी बड़ी घटना से इनकार नही किया जा सकता था।
बताते चलें कि,सन 2000 में बेलौनाकला प्राथमिक विद्यालय में तत्कालीन प्रधानाध्यापक राम लखन यादव और ग्राम प्रधान गुरु प्रसाद दूबे के देखरेख में एकल भूकंपरोधी कक्ष का निर्माण लगभग चार लाख रुपये की  लागत से कराया गया था।वर्तमान प्रधानाध्यापक की माने तो दो वर्ष पहले ही उस कमरे की छत और दीवार क्षतिग्रस्त हो गयी थी ।जिसकी सूचना खंड शिक्षा अधिकारी को लिखित रूप में दे दी गयी थी। मात्रा सोलह वर्ष में ही विद्यालय का यह कमरा धराशायी हो गया। 
तीन वर्ष पहले हरीपुर प्राथमिक विद्यालय में बना भूकंप रोधी कमरा निर्माण के मात्र चार साल के अंदर ही धराशायी हो गया था ।जिसके निर्माण में जबरदस्त धांधली हुई थी । मामला जब मीडिया में आया तो जांच के नाम पर तत्कालीन खंड शिक्षा अधिकारी से लेकर जिला बेसिक अधिकारी ने मोटी रकम प्रभारी से लेकर मामला रफादफा कर दिया था। बरसठी क्षेत्र में भगेरी प्राथमिक विद्यालय में बना भूकम्परोधी कमरा भी बिल्कुल जर्जर हो चुका है और उसी जर्जर कमरे के बैठकर छोटे-छोटे बच्चे पढ़ते है। एक माह पूर्व मीडिया टीम भगेरी विद्यालय का औचक निरीक्षण करने पहुंची तो टीम के सामने ही भूकम्परोधी कमरे की छत की प्लास्टर भरभरा कर गिर गयी। जिसे अखबारों में प्रमुखता से छापा गया था।
प्रश्न यह है कि,बरसठी क्षेत्र में भूकंप आया ही नही और भूकंपरोधी कमरे स्वयं गिर रहे हैं। इन कमरों का निर्माण स्कूलों में इस लिए कराया गया था कि यदि कभी भूकंप  आये भी तो इस तरह के कमरे सुरक्षित रहे ।किन्तु बिडम्बना यह है कि बरसठी के स्कूलों में बने भूकंपरोधी कमरे बिना भूकंप के ही धराशायी हो जा रहे है ।
सरकार और उसके अधिकारी ,कर्मचारी गरीब घर के बच्चों को लेकर कितना संवेदनशील हैं इसका अंदाजा भूकंपरोधी कमरों का स्थलीय निरीक्षण करके कोई अंदाजा भी लगा सकता है। 
पिछले कई वर्षों का इतिहास उठाकर देखा जाय तो इस समय प्राथमिक शिक्षा विभाग में जितना भ्रष्टाचार व्याप्त है ,उतना शायद ही किसी बिभाग में हो । चाहे मध्यान्ह भोजन की बात हो या बच्चों के ड्रेस की सब मे धुंआधार कमीशन बाजी चरम पर है। गरीब बच्चों के मुंह का निवाला भी प्रधान,हेडमास्टर और अधिकारियों द्वारा छीना जा रहा है ।गुणवत्तापूर्ण भोजन की बात कौन कहे,क्षेत्र के दस प्रतिशत स्कूलों को छोड़ दिया जाय तो बाकी स्कूलों में बनने वाला भोजन ऐसा होता है कि कुत्ते भी सूंघ कर हट जाते है। अधिकारियों द्वारा कभी भी भोजन की गुणवत्ता नही परखी जाती है। कारण है कि, हर स्तर पर कमीशन बंधा हुआ है ।मध्यान्ह भोजन का कन्वर्जन कास्ट भी बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय से कमीशन के हिसाब से ही भेजा जाता है। जैसा चढ़ावा वैसा कन्वर्जन कास्ट।ऐसी स्थिति में बच्चे मरे या जिये साहब लोगों से कोई मतलब नही है ।सरकार कोई भी हो भ्रष्टाचार कम होने की बजाय बढ़ता ही जा रहा है।


Riyazul

Reporter - Khabre Aaj Bhi

Who will win IPL 2023 ?