दिल्ली से कुंभ स्नान को निकली किशोरी जौनपुर में मिली, मुस्लिम परिवार ने दिया सहारा

By: Riyazul
Feb 16, 2025
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जौनपुर :  संगम में डुबकी लगाने के लिए पुरानी दिल्ली से निकली 17 वर्षीय अर्पिता मौर्या रास्ते में अपने माता-पिता से बिछड़ गई। कई घंटों की तलाश के बाद भी जब परिजन नहीं मिले, तो वह अनजान लोगों के साथ जौनपुर पहुंच गई। यहां उसे शिवनगर बाजार में रात के समय सहमे हुए हाल में देखा गया, जहां दो स्थानीय युवकों ने उसकी मदद की और उसे सुरक्षित स्थान पर ले गए।  

ऐसे हुई परिवार से बिछड़ने की घटना

अर्पिता मौर्या अपने माता-पिता—सुमन मौर्या और हंसराज मौर्या—के साथ 8 फरवरी को कुंभ स्नान के लिए निकली थी। संगम में स्नान के दौरान वह भीड़ में बिछड़ गई। माता-पिता ने काफी खोजबीन की, लेकिन जब वह नहीं मिली, तो मजबूरी में उन्हें आगे बढ़ना पड़ा। इस बीच, अर्पिता को दो अज्ञात व्यक्तियों ने भरोसा दिलाया कि वे उसके माता-पिता को जानते हैं और उसे घर तक पहुंचा देंगे।  

जौनपुर पहुंचकर रह गई अकेली

वह दोनों व्यक्ति उसे अपने साथ मोटरसाइकिल से जौनपुर के गौराबादशाहपुर थाना क्षेत्र के शिवनगर बाजार में शुक्रवार रात करीब 8 बजे छोड़कर चले गए, यह कहकर कि वे उसके माता-पिता को लेने जा रहे हैं। लेकिन वे वापस नहीं लौटे, जिससे अर्पिता भयभीत और असहाय हो गई।  

मुस्लिम परिवार ने बढ़ाया मदद का हाथ

रात करीब 2-3 बजे पेसारा गांव निवासी सिक्योरिटी गार्ड मो. सलीम और शाह आलम ड्यूटी से लौट रहे थे। उन्होंने देखा कि अर्पिता कुत्तों से बचने के लिए संघर्ष कर रही थी। दोनों ने न केवल उसे वहां से सुरक्षित निकाला बल्कि अपने घर ले जाकर सहारा दिया।  

अर्पिता को घर पहुंचाने में लापरवाही

जब पूर्व ग्राम प्रधान **मो. असलम** ने पुलिस से संपर्क किया, तो केराकत कोतवाली ने इसे गौराबादशाहपुर थाने का मामला बताया। लेकिन वहां भी पुलिस ने उचित कार्रवाई करने के बजाय ग्राम प्रधान से ही अर्पिता को उसके घर छोड़ने के लिए कह दिया।  

क्या कहा अर्पिता ने?

पूछताछ में अर्पिता ने बताया कि—  

- वह पुरानी दिल्ली की रहने वाली है।  

- माता-पिता किसी कंपनी में काम करते हैं।  

- स्कूल में नामांकन होने के बावजूद वह घर से ही पढ़ाई करती थी।  

- एकमात्र दोस्त दिव्या कन्नौजिया का नंबर याद था, लेकिन वह भी बंद आ रहा था।  

- माता-पिता उसे घर से बाहर नहीं निकलने देते थे, और न ही उसके पास मोबाइल था।  

सवालों के घेरे में पुलिस प्रशासन

अर्पिता को सुरक्षित घर पहुंचाने के बजाय पुलिस द्वारा ग्राम प्रधान पर जिम्मेदारी डालना कई सवाल खड़े करता है। अगर मुस्लिम समुदाय के दो युवक समय पर मदद नहीं करते, तो शायद अर्पिता के साथ कोई अनहोनी हो सकती थी।  अब यह देखना होगा कि प्रशासन इस मामले को कितनी गंभीरता से लेता है और अर्पिता को उसके परिवार से मिलाने में क्या कदम उठाए जाते हैं।




Riyazul

Reporter - Khabre Aaj Bhi

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