बिजली के निजीकरण का फैसला वापस ले सरकार ... ईश्वरी प्रसाद कुशवाहा

By: Vivek kumar singh
Dec 04, 2024
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गाज़ीपुर :  संयुक्त किसान मोर्चा यूपी ने उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण को जन विरोधी और कार्पोरेट्स का मुनाफा बढ़ाने वाला बताते हुए आज प्रदेश के जिला मुख्यालयों पर धरना/प्रदर्शन कर इसका विरोध किया है। इस आह्वान के तहत आज गाज़ीपुर जिला मुख्यालय स्थित सरजू पांडे पार्क में सभा कर ज्ञापन सौंपा गया।

सभा को संबोधित करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा यूपी के कोर कमेटी सदस्य सह अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव ईश्वरी प्रसाद कुशवाहा ने कहा कि पावर कार्पोरेशन के घाटे के कारण निजीकरण की दलीलें बेबुनियाद और जनता जनता के आंख में धूल झोंकने वाली है, ये कदम अदानी अंबानी और टोरेंटो जैसी कंपनियों के पक्ष में है। सरकार इसके लिए पिछले कई सालों से प्रयास कर रही थी, जो संयुक किसान मोर्चा और बिजली कर्मचारियों मजदूरों के कड़े विरोध के चलते सफल नहीं हो पाई। अब ट्रिपल पी के बहाने प्रथम चरण में पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत निगमों को पूंजीपतियों को सौंपकर बिजली निजीकरण के काम को चालाकी से आगे बढ़ा रही है। जबकि ऐतिहासिक किसान आंदोलन के समय मोदी सरकार ने अन्य मांगों के साथ बिजली निजीकरण बिल को संयुक्त किसान मोर्चा से सलाह किए बगैर आगे न बढ़ाने के लिखित समझौते से मोदी सरकार मुकर गई है वहीं भाजपा की योगी सरकार सभी उपभोक्ताओं को 300 यूनिट फ्री और सिंचाई हेतु बिना शर्त फ्री बिजली देने के चुनावी वायदे से तो पीछे हट ही गई उल्टा स्मार्ट प्रीपेड मीटर अनिवार्य करते हुए अब निजीकरण का फैसला ले लिया है। यह किसानों मजदूरों के साथ डबल इंजन सरकार का बड़ा हमला है।

श्री कुशवाहा ने आगे कहा कि जहां तक बिजली के बकाया का प्रश्न है,2023 24 तक 1 लाख 10 हजार करोड़ का बकाया बताया जा रहा है, जबकि बिजली बिलों का बकाया 1 लाख 15825 करोड़ रूपए है।। जिसका बड़ा हिस्सा सरकारी दफ्तरों, इंडस्ट्रीज, पुलिस विभाग आदि पर है। अगर इसे वसूल कर लिया जाए तो भी 5825 करोड़ फायदे में रहेंगे बिजली निगम। यहां यह भीसंसद में संसद में बउल्लेखनीय है कि विद्युत नियामक आयोग के अनुसार पहले से ही 34हजार करोड़ रुपए उपभोक्ताओं का निगमों पर निकलता है जो उपभोक्ताओं को नहीं दिया जा रहा है। एक और तथ्य है कि हाल ही में 55 हजार करोड़ रूपए बिजली आधुनिकीकरण के लिए सरकार द्वारा खर्च किया जा रहा है।

सभा को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय किसान फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुभव दास ने कहा कि आजादी के बाद संसद में बिजली कानून पेश करते हुए बिजली मंत्री के रूप में डॉक्टर आंबेडकर ने कहा था कि बिजली सामाजिक जरूरत है। इसे सार्वजनिक क्षेत्र के द्वारा बिना लाभ हानि के सभी को मुहैया करानी होगी। अब मोदी योगी सरकारें बिजली के निजीकरण पर आमादा हैं। यहां यह गौरतलब है कि वर्ष 2000 में भाजपा की केंद्र सरकार द्वारा जब विद्युत बोर्डों का विघटन किया गया था। तब उत्तर प्रदेश में 77 हजार करोड़ का घाटा था।।, जो 24 वर्षों में बढ़कर 1लाख 24 हजार करोड़ रुपए हो गया है। इससे स्पष्ट है कि घाटे के लिए सरकार की नीतियां और नौकरशाही जिम्मेदार है। सभा को मनरेगा मजदूर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष अंबिका प्रसाद श्रमिक ने संबोधित किया और मांग किया कि मनरेगा को खेती से जोड़ा जाए।

सभा में योगी सरकार द्वारा बिजली विभाग में 6 महीने तक हड़ताल पर रोक की निंदा करते हुए किसानों मजदूरों, बिजली कर्मचारियों अधिकारियों और आम जनता से एकजुट होकर संघर्ष का आह्वान किया गया 

राज्यपाल को संबोधित 7 सूत्री ज्ञापन में निजीकरण रोकने, बिजली के संविदा कर्मियों को नियमित करने,300 यूनिट फ्री बिजली देने व फर्जी बकाया बिजली बिल माफ करने आदि की मांग की गई।

सभा को किसान सभा के जिला अध्यक्ष नसीरुद्दीन, किसान महासभा के जिला सचिव सत्येन्द्र प्रजापति, किसान सभा जिला मंत्री योगेंद्र यादव आदि ने संबोधित किया। सभा की अध्यक्षता अम्बिका प्रसाद श्रमिक और संचालन किसान महासभा के राज्य सहसचिव शशिकांत कुशवाहा ने किया।


Vivek kumar singh

Reporter - Khabre Aaj Bhi

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