मना हिन्दी दिवस ,"माता और भाषा कभी नहीं बदलती"

By: Sivprkash Pandey
Sep 15, 2023
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गाजीपुर : आदर्श माता राजकुमारी पब्लिक स्कूल बिजहरी के प्रांगण में मना हिन्दी दिवस का कार्यक्रम। कार्यक्रम में बच्चों को उनकी मातृभाषा हिंदी को उनके माता व पिता की तरह बताया गया।

आज १४ सितम्बर है जिसे हम हिन्दी दिवस के रूप में मनाते हैं। लेकिन शायद ही हम जानते हैं कि हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार कर हिन्दी दिवस के रूप में मनाने के पीछे क्या इतिहास रहा है? हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार करने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के अनुरोध पर स्वीकार किया गया लेकिन एक साहित्यिक व्यक्ति जिन्हें व्यौहार राजेन्द्र सिंह के नाम से जानते हैं जिन्होंने ने काका कलेलकर, हजारी प्रसाद द्विवेदी, मैथिली शरण गुप्त,सेठ गोविंददास व इत्यादि साहित्यकारों के साथ मिलकर कर एक लम्बी लड़ाई लड़ी थी। जिसके फलस्वरूप हिन्दी को पूरे भारत में १९५३ में लागू किया गया। चुकी १४ सितम्बर १९०० राजेन्द्र जी का जन्म दिवस है इसलिए इनके सम्मान में इस दिन को हम हिन्दी दिवस के रूप में मनाते हैं। 

हिन्दुस्तान में रहने वाले लोगों को हिन्दी के प्रति अपने कर्तव्य का पालन करने के लिए तथा हमारे ही देश में हिन्दी भाषा का विलोप न हो जाए उसके लिए हिन्दी दिवस की जरूरत पड़ी, लेकिन हम और हमारे देश की सरकार दोनों ही इसके प्रति उदासीन दिखती हैं। यह भी  कह सकते हैं कि हिन्दी तो अपने ही घर में दासी के रूप में दिखती है। हिन्दी को आजतक संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा नहीं बनाया जा सका।इसे हम विडम्बना ही कहेंगे कि योग के लिए हम १७७ देशों का समर्थन जुटा लिए लेकिन हिन्दी भाषा को उसका स्थान दिलाने के लिए १२९ देशों का समर्थन नहीं जुटा सके। हिन्दी भाषा की हालत तो इतनी खराब हो गई है कि हिन्दी दिवस के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं और जो जानते भी हैं वे हिंदी दिवस की शुभकामनाएं अंग्रेजी में देते हैं। भारत में हम अपनी भाषा को सरकारी काम की तरह देखते हैं जिसे एक दिन के लिए मना दिया जाता है। इससे इसकी हालत सुधर नहीं बल्कि और खराब ही होती है। जब इसपर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं तो कुछ लोग हिंदी दिवस पर अंग्रेजी में स्वागत करते हैं। हमें लगता है कि सरकार इसे केवल दोषमुक्त रहने के लिए चलाती है कि हम हिन्दी भाषा के लिए काम करते हैं। अगर सरकारी कर्मचारियों को देखा जाय तो वे भी अंग्रेजी में ही काम करते हुए नजर आते हैं। जबकि यह सब एकबार में बदल जाएगा यदि सरकार चाहे।


Sivprkash Pandey

Reporter - Khabre Aaj Bhi

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