नवी मुंबई में पीएफआई के अनेक कार्यकर्ता गिरफ्तार,विपुल लखनवी की रिपोर्ट

By: Surendra
Sep 27, 2022
214

नवी मुम्बई : पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया भारत का एक चरमपंथी इस्लामी गठबन्धन है या नहीं यह हम नहीं कहते हैं किंतु वर्तमान में देश भर में अनेकों छापों के कारण यह अचानक सुर्खियों में आ गया है। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया 22 नवंबर 2006 को तीन मुस्लिम संगठनों के मिलने से बना था।  इनमें केरल का नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु का मनिता नीति पसरई साथ आए। यह खुद को गैर-लाभकारी संगठन बताता है।  

वहीं 2006 में नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट (एनडीएफ) के उत्तराधिकारी के रूप में गठित और नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट, मनीथा नीथी पासराय, कर्नाटक के साथ विलय हो गया था। इन पर अक्सर भारत सरकार द्वारा राष्ट्र-विरोधी और असामाजिक गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया जाता रहा है। इसने विलय करके एक बहु-राज्य आयाम प्राप्त कर लिया है। पीएफआई खुद को एक नव-सामाजिक आंदोलन के रूप में वर्णित करता है जो लोगों को न्याय, स्वतंत्रता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। राष्ट्रीय महिला मोर्चा और कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया सहित समाज के विभिन्न वर्गों तक पहुंचने के लिए संगठन के पास विभिन्न विंग हैं। केरल और कर्नाटक में अक्सर पीएफआई और संघ परिवार के कार्यकर्ताओं के बीच हिंसक झड़पें होती रही हैं। अनेकों संघ के कार्यकर्ताओं की हत्या का आरोप इन पर लगाया जाता है।

2012 में, केरल सरकार ने दावा किया कि पीएफआई "प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के एक अन्य रूप में पुनरुत्थान के अलावा कुछ नहीं है" और पीएफआई द्वारा आयोजित "फ्रीडम परेड" पर प्रतिबंध लगा दिया।उच्चतम न्यायालय ने सरकार के रुख को खारिज कर दिया, लेकिन राज्य सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को बरकरार रखा।

इनके कार्यकर्ताओं से पुलिस ने घातक हथियार, बम, बारूद, तलवारें की बार बरामद की हैं। इन पर तालिबान और अल-कायदा जैसे आतंकवादी संगठनों के साथ संबंध होने के कई आरोप भी लगाए गए हैं। इनके अनुसार यह संगठन भारत में मुसलमानों द्वारा सामना की जाने वाली असमानता को दूर करने के लिए मिश्रा आयोग (राष्ट्रीय धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यक आयोग) की रिपोर्ट के अनुरूप मुस्लिम आरक्षण के लिए अभियान चलाता है। 2012 में, संगठन ने निर्दोष नागरिकों को हिरासत में लेने के लिए गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम [यूएपीए] के इस्तेमाल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी किया था।

22 सितंबर 2022 को एनआईए, ईडी और राज्यों की पुलिस ने कुल 15 राज्यों में रेड मारी और पीएफआई से जुड़े 106 लोगों को अलग-अलग मामलों में गिरफ्तार किया।  टेरर फंडिंग और कैंप चलाने के मामले में जांच एजेंसी ने कार्रवाई की है। दिल्ली में एनआईए ने पीएफआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओएमएस सलाम और दिल्ली अध्यक्ष परवेज अहमद सहित अनेकों को गिरफ्तार कर किया है और यह छापामारी और गिरफ्तारी अभी तक चल रही है। नवी मुंबई इससे अछूता नहीं है। पिछले एक हफ्ते में अपुष्ट खबरों के अनुसार 100 से अधिक युवाओं को गिरफ्तार कर पूछताछ की गई है। हालांकि इस संदर्भ में लोकल पुलिस मौन रहती है लेकिन जन समुदाय में जो चर्चा चलती है उसके आधार पर स्थिति कभी भी बिगड़ सकती थी। इसमें कोई दो राय नहीं पहले की सरकार ने बहुत कुछ छूट दे रखी थी जिस कारण नवी मुंबई में इस संस्था ने अपने पैर पसार दिए थे।

वैसे इनके कार्यकर्ताओं पर आतंकी संगठनों से कनेक्शन से लेकर हत्याएं तक के आरोप लगते रहे हैं। 2012 में केरल सरकार ने हाईकोर्ट में बताया था कि हत्या के 27 मामलों से PFI का सीधा-सीधा कनेक्शन है। इनमें से ज्यादातर मामले RSS और सीपीएम के कार्यकर्ताओं की हत्या से जुड़े थे। अप्रैल 2013 में केरल पुलिस ने कुन्नूर के नराथ में छापा मारा और  21 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया। छापेमारी में पुलिस ने दो देसी बम, एक तलवार, बम बनाने का कच्चा सामान और कुछ पर्चे बरामद किए थे। हालांकि,  पी एफ आई ने दावा किया था कि ये केस संगठन की छवि खराब करने के लिए किया गया है। बाद में इस केस की जांच NIA को सौंप दी गई।


Surendra

Reporter - Khabre Aaj Bhi

Who will win IPL 2023 ?