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कमीशन खोरी के चक्कर में मानवता को तार-तार करने वाली घटना से इलाके में सीएमओ की हो रही, खूब चर्चा: सूत्र
आखिर जिम्मेदार कौन? पुलिस की मौजूदगी में घटना होने के बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं हो सकी...
गाजीपुर : उत्तर प्रदेश जनपद गाजीपुर में स्वास्थ्य विभाग के अफसरों और झोलाछाप चिकित्सकों के काकस में फसकर एक निजी अस्पताल संचालक ने प्रसूता की जान ले लिया। आपको बता दें कि क्षेत्र के चटटी, चौराहों एवं गांवो की मार्केट में जन चर्चा चल रही है कि सीएमओ (मुख्य चिकित्सा अधिकारी) गाजीपुर प्राइवेट हॉस्पिटल संचालकों से डरकर जांच नहीं करते हैं क्योंकि कमीशन उनके पॉकेट में नहीं पहुंच पाएगा। भले किसी की जान जाए तो जाए। और इसका खामियाजा आम जनमानस को भुगतना पड़ता है तो भुगते। शिवांगनी हॉस्पिटल में डिलीवरी के समय पैदा हुए, दो मासूम धरती पर कदम रखते ही बेसहारा हो गए। हालत इतनी बदतर है कि प्रसूता को अस्पताल में दाखिल आशा बहू ने कराया। घटना के बाद थाने में पहुंचे पीड़ितों को न्याय देने के बजाय इलाकाई पुलिस ने उन्हें धमका कर घर भगा दिया। मानवता को तार-तार करने वाली इस वारदात से इलाके में प्रशासन व पुलिस की किरकिरी हो रही है। पीड़ित परिवार बेजार हैं और अपने साथ हुई, इस घटना को लेकर सदमे में है। प्राप्त जानकारी के अनुसार जखनियां तहसील के शादियाबाद कस्बे से सटे बबूरहनी गांव निवासी महेश बिंद की ससुराल नंदगंज थाना क्षेत्र के बहेड़ी इलाके में स्थित किसी गांव में है। महेश की पत्नी प्रेग्नेंट थी, जिसके चलते उसके पिता व भाई ससुराल से बेटी को विदा कराकर अपने घर लेकर चले आए और डिलीवरी का समय नजदीक आने के बाद गांव में तैनात आशा बहू से सहयोग मांगा। आशा बहू के ही कहने पर परिजनों ने महेश की पत्नी को इलाके में स्थित चोचकपुर सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर भर्ती कराया। एक दिन बाद आशा बहू ने अपनी कारस्तानी दिखाते हुए , गर्भवती महिला को नंदगंज इलाके में स्थित बरहपुर गांव के पास लंबे समय से चल रहे, बगैर रजिस्ट्रेशन के शिवांगनी अस्पताल में भर्ती कराया। जहां एक बच्चे की नार्मल डिलीवरी हुई, लेकिन पेट में जुड़वा बच्चा होने के कारण एक बच्चा फस गया। प्रसूता की तबीयत का हवाला देकर अस्पताल कर्मियों ने उसके पति को ब्लड की जरूरत बताकर जिला मुख्यालय भेज दिया। बिना किसी चिकित्सक की मौजूदगी में ही मौजूद स्टाफ ने ऑपरेशन करने का ही प्रयास किया। इसी बीच अनुभव की कमी के चलते प्रसूता की दर्दनाक मौत हो गई। तत्पश्चात दूसरा बच्चा भी पैदा हो गया, अस्पताल में मौजूद परिजनों को किसी बात को लेकर शक हुआ, और अस्पताल के सामने हंगामा करने लगे। इस बात को जान अगल बगल भीड़ भी इकट्ठा हो गई। बिना रजिस्ट्रेशन एवं मानक विहीन लंबे समय से चल रहे, इस अस्पताल में कई लोगों की जान जाने का भी आरोप है। फिर भी गाजीपुर मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं उनके चिकित्सक की टीम जो कि योगी सरकार की लोकप्रिय सरकार को बदनाम करने में जी-जान से लगी हुई है अन्यथा थोड़ी भी कर्तव्यनिष्ठ होते तो ऐसे हॉस्पिटलों को फलने फूलने नहीं देते, और आम जनता की जान जोखिम में नहीं होती। परिजन इस बात को जानकर हंगामा बढ़ने लगे और पीड़ित परिजनों की सूचना पर नंदगंज थाने की पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। महेश बिंद के भाई व पिता का आरोप है कि इलाकाई पुलिस ने उनकी तहरीर भी नहीं ली। और कहा कि जिस थाना क्षेत्र में तुम लोगों का घर है, वहां जाकर मुकदमा दर्ज कराओ। यह विचारणीय विषय है कि जहां घटना होगी वहां f.i.r. पुलिस नहीं करती है बल्कि उसके घर भेजती है कि जहां कि आप निवासी हैं वहां जाकर एफ आई आर कराइए। वाह रे गाजीपुर की पुलिस और उसके आला अधिकारी। जबकि पत्नी की मौत और तत्काल पैदा हुए, मासूमों की हालत देख कर परिजनों ने अपने बच्चों और मृतक की लाश को लेकर घर चले गए। और इसके बाद लगातार टेलीफोन व अन्य माध्यमों से अपने रिश्तेदारों व संबंधितो से हुई, घटना में मदद करने की गुहार लगाने लगे।मनमानी का आलम यह रहा कि मृतक महिला का पोस्टमार्टम भी नहीं हो सका। महेश ने आरोप लगाया कि मेरी पत्नी जब मर गई, तो उसे बेहतर इलाज के नाम पर वाराणसी ले जाने का हवाला देकर एंबुलेंस भाड़े के नाम पर 3500 सौ रुपए अलग से वसूले गए। और वाराणसी जा रही , एंबुलेंस रास्ते से वापस आ गई और मृतक का शव परिजनों को सौंप दिया गया। पुलिस की अनदेखी व अपने साथ हुई, इस घिनौनी वारदात से परेशान हाल पीड़ित दलित परिवार सहमा हुआ है। इस मामले में पीड़ित ने सीएम और डीएम से न्याय की गुहार करता है कि मामले की जांच करने के साथ-साथ पैदा होने वाले मासूमों को बेसहारा बनाने वाले अस्पताल संचालक पर कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। ताकि भविष्य में किसी की जान से खिलवाड़ प्राइवेट हॉस्पिटल ना कर सके।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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