आजाद हिन्द फौज के गुमनाम योद्धाओं की तलाश में गहमर पहुंचा चौखट प्रणाम अभियान,आज तक उपेक्षित है सुभाष के सिपाहियों का परिवार

By: Izhar
Apr 17, 2022
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आजादी दिलाने वाले योद्धाओं के साथ वामपंथी इतिहासकारों ने किया अन्याय

कुँअर नसीम रज़ा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलकर एशिया के सबसे बड़े गांव गहमर में आजाद हिन्द स्मृति स्तम्भ लगवाएंगे


दिलदारनगर :उत्तर प्रदेश जनपद गाजीपुर के महानायक नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की महान आजाद हिन्द फौज के योद्धाओं ने भारत को आजाद कराने और दिल्ली चलो की कसम खायी थी। देश तो आजाद करवा दिया, लेकिन आजादी के बाद नेहरू सरकार ने आजाद हिन्द फौज के योद्धाओं को न ही सम्मान दिया और न ही इतिहास में स्थान।        सुभाषवादी पार्टी भारतीय अवाम पार्टी ने इन्हीं गुमनाम योद्धाओं की तलाश और सम्मान के लिए चौखट प्रणाम अभियान शुरू किया। भारतीय अवाम पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कुँअर मुहम्मद नसीम रज़ा खाँ के नेतृत्व में चौखट प्रणाम अभियान एशिया के सबसे बड़ा गाजीपुर के गहमर गांव में पहुंचा और वहां आजाद हिन्द फौज के योद्धाओं के घर की चौखट को प्रणाम किया, तस्वीर को सलामी दी और उनके परिवार के सदस्यों को सुभाष टोपी पहनाई।


गहमर गांव में 6 से अधिक योद्धाओं के परिवारों का पता चला जिसमें स्व० रघुनाथ सिंह के पुत्र स्व० डोमा सिंह एवं स्व० सुखनन्दन उर्फ सुखारी सिंह के पुत्र स्व० दूधनाथ सिंह पट्टी बाबूराव, रामचौतरा, दक्षिण टोला, गहमर के निवासी हैं और आपस में चचेरे भाई हैं। दोनों भाई ब्रिटिश सेना में थे लेकिन 1942 में जब जापानियों ने ब्रिटिश सेना के भारतीय सिपाहियों को गिरफ्तार कर लिया उस समय एशिया में सुभाष चन्द्र बोस का आजादी का आन्दोलन चल रहा था। जापानियों के गिरफ्तार सिपाहियों को आजाद हिन्द फौज में शामिल होने पर सम्मान और कैद से आजादी मिल रही थी, इसलिए गहमर के दोनों भाई आजाद हिन्द फौज में शामिल हो गए और ब्रिटेन के खिलाफ युद्ध में नेताजी सुभाष के साथ भाग लिया। गहमर में जैसे ही ये खबर आई कि हवाई दुर्घटना में नेताजी सुभाष नहीं रहे, तो गांव वालों ने इन दोनों भाइयों को भी मृत समझकर अंतिम संस्कार एवं क्रिया क्रम कर दिया‌


दोनों अंग्रेजों की पकड़ से छुपते हुए सिंगापुर से भारत आये और गहमर पहुचें। गांव में कोई इनको नहीं पहचाना, बाद में गांव वालों ने इनको स्वीकार कर लिया। स्व० दूधनाथ सिंह को नेताजी के अंतिम शब्द याद थे, नेताजी ने कहा था अपने देशवासियों की अंतिम समय तक मदद और फौज के सिपाहियों का आपसी साथ मेरा आदेश है। सुभाष के सभी सिपाही अंतिम दिन तक उनके आदेश का पालन करते रहे। दूधनाथ सिंह को जब भी पता चलता था कि आजाद हिन्द फौज का कोई भी सिपाही देश के किसी कोने में है और परेशान है तो वे तुरंत उसकी मदद करने के लिए ट्रेन पकड़ लेते थे।


महान योद्धाओं के परिवार के लोगों से कुँअर मुहम्मद नसीम रज़ा खाँ ने मुलाकात की, स्व०डोमा सिंह के पुत्र मकसूदन सिंह एवं स्व०दूधनाथ सिंह के पुत्र प्रवेश उर्फ सद्दाम सिंह को टोपी पहनाकर सम्मानित किया, दोनों के चित्रों को तथा चौखट पर सलामी दी। इन दोनों भाइयों के अलावा गहमर के पट्टी टीकाराव के स्व० अमर सिंह के पुत्र स्व० शिवराम सिंह, स्व० हरद्वार चौबे के पुत्र स्व० केदारनाथ चौबे, स्व० उजागर सिंह के पुत्र स्व० सुरेन्द्र नाथ सिंह, स्व० सकलदीप सिंह के पुत्र स्व० इन्द्रदेव सिंह नेताजी सुभाष के साथ देश को आजाद कराने के लिए जंग लड़ी और सर्वोच्च कुर्बानी दी।आजाद हिन्द फौज के परिवार वालों का कहना है कि आज तक किसी ने सुध नहीं ली। अन्य फौजियों और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम की पट्टी तो है, लेकिन आजाद हिन्द फौज के सेनानियों का जिक्र तक नहीं। भारतीय अवाम पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कुँअर मुहम्मद नसीम रज़ा खाँ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलकर उस गांव में आजाद हिन्द स्मृति स्तम्भ लगवाएंगे, जो योद्धाओं की जन्मस्थली रही है, ताकि आने वाली पीढियां कुर्बानी को याद रख सकें और आजाद हिन्द फौज के गुमनाम योद्धाओं के इतिहास को सुरक्षित रखा जा सके। कांग्रेस और वामपंथियों ने जो इतिहास मिटाने का पाप किया है उस कलंक को भारतीय अवाम पार्टी धो सके और इन महान योद्धाओं को सम्मान मिल सके, जिससे उनकी आत्मा तृप्त होगी कि जिस सम्मान के हकदार हैं वह देश ने दे दिया। चौखट प्रणाम अभियान एवं आजाद हिन्द फौजयों की खोज में कुंअर मुहम्मद नसीम रज़ा खाँ के साथ पार्टी के पदाधिकारियों में गाजीपुर के जिला महसचिव मोहम्मद अफ़रोज खाँ, सचिव अशोक श्रीवास्तव, गहमर निवासी पत्रकार सत्या उपाध्याय, कवि फजीहत गहमरी, नसीम खान बारा आदि शामिल रहे।




Izhar

Reporter - Khabre Aaj Bhi

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