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By : मयंक कुमार
वाराणसी : रामनगर प्रत्येक वर्ष 24 जनवरी को बालिकाओं को लाभान्वित करने और अवसर प्रदान करने के प्रति जागरूकता प्रदान करने के लिए मनाया जाता है। इस दिन श्रीमती इंदिरा गांधी ने भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला था। इसकी शुरुआत महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने 2008 में की थी।राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर सोमवार को वाराणसी के पुराना रामनगर में समाज सेविका विभु पांडेय ने बालिकाओं के हित में अधिकार को लेकर एक महिला संगोष्ठी का आयोजन किया। जिसमें अलग-अलग क्षेत्र की महिलाएं शामिल हुई। विभु ने महिलाओं पर अपनी बात रखते हुए कहा कि महिलाओं के सशक्तिकरण हेतु राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में हम सभी लोग मानते है। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य है। कि बेटियों को उनका अधिकार मिल सके। वर्तमान में देखा जाए तो देश की बेटियां हर क्षेत्र में भूमिका निभा रही हैं। एक समय ऐसा था, जब बेटियों को गर्भ में ही मरवा दिया जाता था। यह स्थिति अब न के बराबर हो गई है। पहले बेटियों का जन्म हो भी गया तो बाल विवाह कर दिया जाता था। बेटियों के साथ भेदभाव और उनके साथ होने वाले अत्याचार के खिलाफ देश की आजादी के उपरांत भारत सरकार प्रयासरत हो गई थी। बेटियों को देश की प्रथम पायदान पर लाने के लिए कई योजनाएं और कानून लागू किए गए। इसी लक्ष्य को साध कर सरकार ने राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाना शुरु किया। देश की बेटियों को सशक्त बनाने के लिए और जागरूकता बढ़ाने के लिए इस मुख्य दिवस को 24 जनवरी को मनाने का यही कारण है। समाज में बालिकाओं के ऊपर होने वाले अत्याचार, दुर्व्यवहार और उनकी समानता को उजागर करने के लिए। बालिकाओं को पढ़ाई-लिखाई, स्वास्थ्य और पूर्ण पोषण के महत्व पर जागरूकता उत्पन्न करने के लिए। हर देश में बालिकाएं खेलकूद और सरकारी क्षेत्रों में अपना योगदान दे रहीं हैं। विभु ने संगोष्ठी समापन के अंत में यह भी कहा कि बालिकाओं व महिला सुरक्षा को लेकर सरकार को सख्त होने की विशेष आवश्यकता है। इस संगोष्ठी में आनंद कश्यप, रूपा देवी, सुनीता गुप्ता, शकुंतला, पुष्पा, रूपा साहनी, रीता,सुमन साहू, रवि व्यास के अलावा आदि लोग मौजूद रहे।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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