​दिल को झकझोर कर रख देने वाली सच्चे प्यार और आंखों में आंसू ला देने वाले रियल हीरो की इमोशनल बायोग्राफी है फिल्म ''शेरशाह''

By: Khabre Aaj Bhi
Aug 23, 2021
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By: avinash

रेटिंग -  4.5/5

 निर्देशन - विष्णु वर्धन

निर्माता- करन जौहर

लेखक: संदीप श्रीवास्तव, कलाकार: सिद्धार्थ मल्होत्रा, कियारा आडवाणी व अन्य ,ओटीटी:  प्राइम वीडियो

सर्टिफिकेट -यू/ए, जोनर - वॉर ,ड्रामा, रोमांस 

फिल्म कैसी लगी इसके आन्सवर सिर्फ दो होते हैं।या तो अच्छी या फिर बुरी।मगर एक तीसरी कैटेगरी से आप मिले नहीं है और वो ऐसी फिल्म बनकर बाहर निकले जो आपको अंदर तक झकझोर कर रख दे,जो आपको अंदर ही अंदर तोड़ कर रख देगी और बस फिल्म के लिए इज्जत होगी और वो भी आंखो से बाहर निकलेगी। सिद्धार्थ मल्होत्रा को बॉलीवुड का मोस्ट अंडररेटेड एक्टर माना जाता है ना ऐसा काम कर के दिखाया जिसने सिनेमा और रियलिटी का फर्क ऑलमोस्ट गायब सा कर दिया है।यूनिफॉर्म और इमोशन सबसे टेढा काम है और किसी भी फिल्ममेकर के लिए मुश्किल है इस सब्जेक्ट से पंगा लेना।मगर सिद्धार्थ इसे पर्सनल ले गए हैं।फिल्म में एक स्टेज आएगा जिसमें डायलॉग्स की जरूरत नहीं पड़ेगी ,सिर्फ इनकी आंखे ही काफी होगी फिल्म को आगे बढ़ाने के लिए।एक लाइन में रिव्यू तो ये बॉलीवुड का सबसे अच्छा एक्सपिरियंस जिसमें एक तरफ हिस्ट्री है तो दूसरी तरफ सॉलिड सिनेमा कॉन्टेंट।तेईस साल का एक्सपिरियंस कैप्टन विक्रम बत्रा और दो साल का एक्सपिरियंस एज ए कैप्टन शेरशाह।फिल्म का फोकस दोनों तरफ है मतलब शुरुआत होती है। शुरूआत हम आपकी तरह होती है गेम ऑफ लाइफ ,ज़िन्दगी का खेल , परिवार , दोस्त ,प्यार और सपने और फिर एक रियल क्वेश्चन कि मेरी लाइफ का परपज क्या है? इसका आन्सवर विक्रम को मिलता है आर्मी युनिफोर्म में ।फिल्म का सबसे बेस्ट पार्ट में है कि फिल्म चलती है पूरे बैलेंस के साथ । पर्सनल लाइफ में लव स्टोरी है ,रोमांस है और फिलिंग्स है। फिल्म में विक्रम के अंदर हम खुद को तलाश करने लग जाते हैं और कैरेक्टर के साथ स्ट्रोंगली जुड़ जाते हैं। प्रोफेशनल साइड में है वॉर जिसके लिए शेरशाह तैयारी कर रहे हैं। द गोल्डन हिस्ट्री और वो भी अपने देश की।एक एक स्टैंप लेकर कहानी आगे बढ़ती है जिसमें फिल्म के टेक्निकल एस्पेक्ट्स जैसे वी एफ एक्स (विजुअल इफेक्ट्स), सिनेमेटोग्राफी , बैकग्राउंड स्कोर इन सब का इस्तेमाल करके युनिफोर्म के लिए रेस्पेक्ट प्रदान किया जाता है।लेकिन यहां था रिस्क जिसमें एक छोटी सी गलती होती और ये पर्सनल टू प्रोफेशनल दोनों आ जाते आमने सामने और ऑडियंस को किसी एक को चुनना पड़ता।मतलब एक अच्छा लगता तो दूसरे को बुरा बनना पड़ता लेकिन इधर फिल्म के मेकर्स ने चल‌ दिया ताश का इक्का। खतरनाक लेवल की राइटिंग स्टोरी से लेकर चार पांच सेंटेंस वाली डीप और दिल मांगे मोर जैसे वन लाइनर्स।सब कुछ निशानेबाजी(आर्चरी) के गेम की तरह बीच में जाकर लगता है।ऐसा इसलिए क्योंकि फिल्म के मेकर्स के पास था एडवांटेज कि उनको विक्रम बत्रा की लाइफ पहले से ही पता है कि शुरू कैसे करना है और खत्म कैसे करना है?तो बस अट्रेक्टिव पार्ट उठाके जो भलै ही रियल लाइफ में आगे होंगे उन्हें पहले से ही उठाकर शुरू कर दी जाती है कहानी में।जैसे कि पेप्सी का एड दिल मांगे मोर वो चार पांच बार बैकग्राउंड में देखने को मिल जाएगा।ये है फिल्म मेकर्स की चालाकी और मौके को चौका मारना । फाइनली झंडा लहराते हुए जब ये स्लोगन बोला जाता है तो ऑडियंस पहले से ही तैयार है।सिर्फ स्लोगन नहीं बल्कि इमोशन‌ में कन्वर्ट हो चुका है‌।रियल में खेल गए डायरेक्टर साहब।अब आपके दिमाग में ये सवाल जरूर आया होगा पंद्रह अगस्त के अराउंड एक देशभक्ति फिल्म जरूर रिलीज होती है। फिल्म की मेरी और से तारीफ हमेशा खटकती रहती होगी मगर सच कहूं तो ये फिल्म बाकि फिल्मों से काफी अलग है अगर आप सोचते हो क्यों तो इसका कारण है सच्चाई और रियल दुनिया को जोड़ने वाली छोटी छोटी डिटेल्स  जो अक्सर बॉलीवुड फिल्म मेकिंग स्टाइल में अक्सर गायब सी हो जाती है। सिर्फ चार प्वाइंट लिखुंगा खुद को साबित करने के लिए।फौजी भी इंसान होते हैं ये अक्सर सुना होगा आपने मगर शेरशाह ने लिटरली उसे बिल्कुल सेंटर पर रख दिया।विक्रम बत्रा एज ए फाइटर पैदा तो नहीं हुए थे।हर इंसान की एक जर्नी होती है और सोल्जर आपस में दोस्त होते हैं।यश सर ,नो सर बोलकर आपस में जोक्स भी मारते हैं । फिल्म में एकदम रियल व नेचुरल एक्सप्रेस न्स का इस्तेमाल किया गया है जो शेरशाह को एक मशीन नहीं बल्कि एक सोल्जर के रू में प्रेजेंट करता है।

प्वाइंट नम्बर दो पर जरा एक्स्ट्रा ध्यान देना क्योंकि बॉलीवुड को देखने का नजरिया बदल जाएगा।भुज और बैल बॉटम दोनों फिल्मों का सब्जेक्ट भी शेरशाह की तरह देशभक्ति है।लेकिन कुछ ध्यान दिया आपने की सपोर्टिंग कास्ट में है बड़े बड़े नाम जैसे संजय दत्त,नोरा फतेही, सोनाक्षी सिन्हा ,लारा दत्ता ,हुमा कुरैशी और भी लंबी चौड़ी स्टार-कास्ट।लेकिन शेरशाह में सिद्धार्थ और  कियारा के अलावा कौन है ये नब्बे परसेंट ऑडियंस को पता ही नहीं है।क्योंकि यहां फिल्म का फोकस नाम पर नहीं काम पर है।ये स्टार-कास्ट फिल्म को ना भुलने वाले एक्सपिरियंस में बदल देती है।ये फिल्मी हीरो हीरोइन नहीं बल्कि रियल हीरोज है जो अपने फिल्मी कैरेक्टर को असली बनाने में पूरी मेहनत करते हैं।और लीड एक्टर्स का काम फीफ्टी परसेंट आसान हो जाता है।।ये चीज करने जौहर से तो बिल्कुल भी एक्सपेक्टेड नहीं थी लेकिन दिल जीत लिया सर जी ने इस बार ।

सिर्फ सच्चा टैलेंट शो फ़ालतू की बकवास और ना ही कोई रिश्तेदारी  ।अब प्वाइंट नम्बर तीन जो काफी इन्टरस्टिंग है और आप सब उससे रिलेट जरूर करोगे।अक्सर जब किसी फेमस पर्सन‌ पर बायोपिक बनती है तो दो तीन घंटे वन मैन शो चलता है मतलब टोटल हीरोपंती ।,मतलब अपना हीरो सौ लोगों से लड़ेंगा,कार भी चलाएगा,हैलीकॉप्टर भी उड़ाएगा और अंत में देश का झंडा भी लहराएगा और फिल्म खत्म। मगर यहां पर शेरशाह में पूरे मिशन‌ को दिखाया गया है ,मतलब अगर विक्रम बत्रा लड़ रहे हैं तो बाकि सोल्जर्स भी उसका साथ दे रहे हैं।और फिल्म के अंत में हर वारियर को महत्व दिया जाता है ना कि किसी एक इन्सान‌ को फोकस में डाल दिया जाता है।चौथा प्वाइंट है फिल्म के गाने जो हर देशभक्ति फिल्म को बेचने के लिए  इस्तेमाल किए जाते हैं।बोर्डर से भुज तक तीन चार गाने तो फिल्म में डालें ही जाते हैं।मगर शेरशाह में एक भी गाना नहीं मिलेगा।हां म्यूजिक है मगर वो सिर्फ प्यार इश्क मोहब्बत वाला।देशभक्ति साबित करने के लिए इस फिल्म को किसी भी गाने की जरूरत ही नहीं पड़ती।सिर्फ दमदार कंटेंट ही काफी है फिल्म को साबित करने के लिए।

अभी फाइनली वो चीज जिसका जिक्र करने से मैं खुद को रोक ही नहीं पा रहा। सिद्धार्थ ने कैप्टन बत्रा के रोल में जो कमाल की परफॉर्मेंस दी है वो काफी काबिले-तारीफ है और मैं स्पीचलैस हूं उनकी दमदार एक्टिंग के सामने।पहले ही दृश्य से इन्होंने युनिफोर्म को सच्चे देशभक्त के एटीट्यूड के साथ प्रेजेंट किया है। सिद्धार्थ एज ए एक्टर गायब है और आपकी मुलाकात होगी एक सच्चे सोल्जर से ,जो देश‌ के लिए जान दे भी सकता है और वे भी सकता है।और दुसरी तरफ इनका लवर ब्वाय वाला कैरेक्टर जिसमें दिल की फिलिंग्स बिल्कुल साफ साफ ,सच्ची और प्योर नज़र आएंगी।और इसका क्रेडिट कियारा को भी जाएगा क्योंकि दोनों के बीच की कैमिस्ट्री बिल्कुल आग की तरह गरमा गरम है।फिल्मी इमोशन्स भी बिल्कुल सच्चे जो बिल्कुल भी ड्रामेटिक नहीं लगते बल्कि जब जब वो स्क्रीन पर आते हैं ,कभी प्यार का सच्चा अहसास दिलाते हैं तो कभी जुदाई की फिलिंग के साथ दिल में उतर जाते हैं और ऑडियन्स को भावुक भी कर देते हैं।कियारा के साथ खुद को कनैक्ट करने से आप खुद‌ को रोक ही नहीं पाओगे।

एक्चुअली एक्सप्रेसन और सिचुएशन दोनों इतना फिट बैठते हैं उनके लुक्स के सामने कि आप डिम्पल मैम के कैरेक्टर में कियारा के अलावा किसी को इमेजिन ही नहीं कर पाओगे हां ज्यादा मजा आता अगर डिंपल मैम के करैक्टर को विक्रम सर के सामने और एक्सप्लोर किया जाता लेकिन फिर भी अगर फिल्म का टाइटल ही है शेरशाह तो फिल्म इसी सब्जेक्ट और कैरेक्टर के साथ दौड़नी चाहिए।फिल्म का डायरेक्शन टॉप लेवल का है।पहली बात तो इंडिया पाकिस्तान के बीच दुश्मनी कोई नई बात तो है नहीं लेकिन जब कारगिल वॉर के दृश्य आते हैं तो हमें एक नए तरीके की लड़ाई दिखाई जाती है जो बंदुक के साथ साथ मुंह से लड़ी जाती है।यहां डायरेक्टर साहब का नरेशन‌ है कमाल और युनिक।फिल्म में डायरेक्टर ने एक कॉमेडियन को युनिफोर्म पहनाई है। डायरेक्शन की बात करें तो डायरेक्टर साहब  किसी पुतले से भी एक्टिंग करवा सकते हैं।इतना टैलेंट है इनके दिमाग में कि विष्णु सर दिल जीत लिया आपने।फिल्म में सिद्धार्थ ने कैप्टन विक्रम बत्रा के कैरेक्टर के साथ जो न्याय किया है उसके लिए जितनी तालियां बजाओ कम है।

फिल्म को उरी के कम्पेरिजन में खड़ा करने की कोशिश ना करते हुए अपना हटके थोड़ा अलग नरेशन स्टाइल में प्रेजेंट किया गया है।विक्रम बत्रा की प्रोफेशनल और पर्सनल दो जिंदगी को एक ही कहानी में बिना किसी कोम्प्रोमाईज़ के प्रदर्शित करने वाली स्ट्रोंग राइटिंग के लिए और डायलॉग और इमोशन्स को जिस तरह दर्शाया गया है वो कभी खुश कर देता है तो कभी दुखी कर देता है।फिल्म की सपोर्टिंग कास्ट नाम को नहीं काम को फोकस करती है और उसका इस्तेमाल बेहतरीन तरीके से किया गया है‌। हालांकि कियारा का किरदार एक बैकबोन के रूप में प्रेजेंट किया गया है। फिल्म में वॉर के साथ लव को भी लव एंड रोमांस के रूप में जस्टिस किया गया है। फिल्म को बॉलीवुड के नशे में ना डुबोकर जिस सच्चाई के साथ बयां किया गया है वो सच में ऑडियंस तक ना पहुंच जाता है मगर कहीं कहीं रूला भी देता है।नो नकली हीरोपंती और नो नकली स्टीरियोटाइप ।फौजी है तो रोएगा नहीं और यस सर नो सर के अलावा कुछ बोलेगा नहीं ,इन सब को पिछे छोड़कर एक  ट्रांसपेरेंट तरीके से दिखाने के लिए और वो भी बिना किसी मिलावट हंड्रेड परसेंट ओरिजनल ,रियल में वेरी नाइस।ये सिनेमा की और से शेरशाह को सच्ची श्रद्धांजलि है।

रियल प्यार की कहानी 

विक्रम बत्रा की गर्लफ्रेंड डिंपल चीमा ने कैप्टन विक्रम बत्रा के शहीद होने के बाद डिंपल ने कभी शादी नहीं की।बस उनकी होकर ही रह रही है। हालांकि उन्हें काफी बार शादी के लिए मनाया गया मगर उन्होंने यही कहा कि विक्रम की जगह कोई नहीं ले सकता।उसने कहा कि वह अपनी जिंदगी विक्रम की यादों के सहारे ही काट लेगी‌।उन्होंने कहा कि डिंपल रिश्तों की अहमियत जानती है।इसे कहते हैं सच्ची मोहब्बत ,सच्ची श्रद्धांजलि,सच्चा समर्पण और सच्चा त्याग ।वरना आजकल की मोहब्बत तो व्हाट्स अप स्टेटस की तरह कब बदल जाए ,कुछ कह नहीं सकते।रियल में दिल को छु जाता है उनका किरदार।कियारा ने उनके किरदार को जिस कदर जीवांत किया है।रियल सो स्पीचलैस।बत्रा की शहादत को और डिंपल की मोहब्बत को इससे अच्छा कोई तरीका नहीं है बताने का।


Khabre Aaj Bhi

Reporter - Khabre Aaj Bhi

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