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समय पर डॉक्टरों के न पहुंचने पर मरीज हो रहे परेशान
जिला अस्पताल के डॉक्टर मस्त मरीज परेसान
जिला अस्पताल में इलाज के लिए दर-दर की ठोकरें खाते मरीज
गाजीपुर : इस कोरोना कॉल महामारी में जहां स्वास्थ्य सेवाओं व सुविधाओं के लाले पड़े हैं वही योगी सरकार द्वारा जनता के स्वास्थ्य को लेकर तरह-तरह के जागरूकता योजनाएं चलाई जा रही है। जनपद के जिला अस्पताल की हालत पूरी तरह खस्ता नजर आ रही है। हम आपको बता दें कि जब मीडिया की टीम शुक्रवार की सुबह 9 बजे पड़ताल पर पहुंची तो देखा कि सारे डॉक्टरर्स के कमरे में ताले लटके हुए थे। वहीं कुछ में कुंडी लगी हुई थी। चिकित्सक एवं कर्मचारी के नाम पर कोई भी नजर नहीं आ रहे थे। मरीज परेशान व हलकान हो रहे थे। जिला अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्था जो राम भरोसे नजर रही है। यही हाल रहा तो जिला अस्पताल जल्द बीमार हो कर वेंटिलेटर पर जा सकता है।
जब डॉक्टर ही समय से नहीं आएंगे तो मरीजों का इलाज कौन करेगा। नाम न छापने की शर्त पर एक कर्मचारी ने बताया कि मरीज देखने का समय८ से२ है। जो की यह समय एक चिकित्सक कक्ष के बाहर दीवार पर लिखा हुआ भी मिला। इसी क्रम में आयुष चिकित्सक से हुई वार्ता में उन्होंने बताया कि ८ से २ तक मरीजों को देखने का समय है। वही एक्सरे विभाग पूरी तरह से खाली मिला वहां कोई कर्मचारी नहीं था। जबकि अल्ट्रासाउंड में जाँच सम्बन्धित काम चल रहा था। ब्लड बैंक मे जब हमारी टीम पहुंची तो सीनियर कर्मचारी ने बताया कि तीन कर्मचारी इधर-उधर होंगे। इमरजेंसी होते हुए टीम अस्पताल के पुलिस चौकी पहुंची तो देखा कि वहां भी ताला लटक रहा था। सुरक्षा के नाम पर कोई वहां पुलिसकर्मी या सुरक्षा कर्मी मौजूद नहीं था। ठीक उसके विपरीत लगा फ्रीजर खराब था। इस उमस भरी गर्मी में परिजन व मरीज पानी के लिए दर-दर भटक रहे थे। लोगो का सीधा आरोप था कि अस्पताल परिसर में दर्जनों दुकानें चाय पानी की चल रही हैं इससे आप अनुमान लगा सकते हैं कि जिला अस्पताल और प्रशासनिक आमला व परिसर में लगी प्राइवेट दुकानों की मिलीभगत से अस्पताल का फ्रीजर खराब करवा दिया गया होगा।
ताकि मरीज व उनके परिजन बाहर से पानी खरीदने और पीने के लिए मजबूर हो जाए। वही ट्रामा सेंटर शो पीस के रूप में बंद पड़ा था। वहीं अस्पताल परिसर में स्थित वन स्टॉप सेंटर का पड़ताल में पाया गया कि कैंपस के साथ-साथ अगल-बगल गंदगी का अंबार पड़ा मिला देखा गया, कि वन स्टॉप सेंटर की चारदीवरी झाड़ियों से घिरा हुआ था।
वही जिला अस्पताल में पाया गया कि सुबह ८ बजे से मरीज दिखाने वाली पर्ची नियमानुसार कट रही थी। अस्पताल परिसर में स्थित दवा वितरण केंद्र पर देखा गया कि पुराने पर्ची धारक दवा के लिए लाइन में खड़े थे। और दवा वितरण करने वाला कंपाउंडर पर्दे की आड़ में खड़ा था। जब मीडिया टीम वहां पहुंची तो देखते ही पर्दा उठाते हुए दवा वितरण प्रभारी के डांट फटकार पर वितरण का कार्य शुरू कर दिया गया। वही पुराने मरीजों ने बताया कि ज्यादातर दवाएं बाहर मेडिकल से लेनी पड़ती है। सबसे मजेदार बात यह रही कि कोरोना टीकाकरण काउन्टर पर इस महामारी में २ गज की दूरी २ इंच भी नजर नहीं आ रही थी। करोना टीकाकरण स्थल पर लगभग ४०० की भीड़ में भगदड़ जैसी स्थिति देखने को मिली और वहा महिलाओं की संख्या १०० के आसपास थी।
ऐसा प्रतीत हो रहा था कि लोगों को करोना मुक्त करने के बजाय करोना युक्त किया जा रहा हो, देखने से ऐसा प्रतीत हो रहा था कि अगर कोई अनजाने में कोरोना पॉजिटिव हो तो सारे लोगों को कोरोना संक्रमित कर सकता है।उनके बीच कुछ दलाल प्रवृत्ति के व्यक्तियों द्वारा पैसे लेकर के बैक डोर से रजिस्ट्रेशन कराया जा रहा है, ऐसी वहां पर चर्चाएं चल रही थी। इन सभी प्रकरणों पर जब सीएमओ से फोन पर मीडिया टीम ने जानना चाहा तो पूरी घण्टी बजने के बाद भी उन्होंने फोन उठाना मुनासिफ नही समझा।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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