महाराष्ट्र में एटीकेटी वाले 40% छात्रों का जीवन बर्बाद नहीं होगा :भाजपा नेता, और आशीष शेलार

By: Khabre Aaj Bhi
Jun 11, 2020
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मुंबई ; 11 गैर-कृषि विश्वविद्यालयों में इस वर्ष अंतिम वर्ष के लिए 8 लाख 74 हजार 890 छात्र हैं, जिनमें से 3 लाख 41 हजार 308 एटीकेटी के साथ यानी 40% छात्र असफल होंगे? जो एक पीढ़ी को नष्ट कर देगा! "सर्वज्ञ" राज्य सरकार सुनो! भाजपा नेता, पूर्व शिक्षा मंत्री, विधायक और आशीष शेलार ने कहा कि हमें महाराष्ट्र में इन 40% छात्रों के लिए लड़ना है।

उन्होंने एक ट्वीट में कहा कि,"सर्वज्ञ" राज्य सरकार सुनो! यहां तक ​​कि अगर आप "औसत" व्यवहार करते हैं, तो युवाओं का जीवन "औसत" से बर्बाद नहीं होगा!

मुंबई विश्वविद्यालय के अंतिम वर्ष में 2 लाख 3 हजार 700 छात्र हैं, जिनमें से 73.8 एटीकेटी वाले 35.83% छात्र असफल होंगे और उनका जीवन बर्बाद नहीं होगा। सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय में 2 लाख 25 हजार 124 अंतिम वर्ष के छात्रों में से 43.41% या 1 लाख छात्र एटीकेटी से हैं, जबकि संत गाडगे बाबा अमरावती विश्वविद्यालय में 70 हजार 234 छात्रों में से 35 हजार या 49.84% छात्र एटीकेटी से हैं।

हमें इन छात्रों के लिए लड़ना होगा!

गोडावण विश्वविद्यालय में 24,000 छात्र हैं, जिनमें से 16,000 एटीकेटी के साथ 66.66% हैं जबकि नागपुर में राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज विश्वविद्यालय में 30% या 21,000 एटीकेटी के साथ 70% छात्र हैं। "औसत" में असफल रहने वाले छात्रों को संघर्ष करना होगा।

कोल्हापुर में शिवाजी विश्वविद्यालय के अंतिम वर्ष में, 6३ हजार ५०६ छात्रों में से ४२% यानी ३० हजार ८२८ छात्रों के पास एटीकेटी है, जबकि सोलापुर के पुण्यशलोक अहिल्याबाई होल्कर विश्वविद्यालय में ३८ हजार छात्रों में से ५०%, यानी १ ९ हजार एटीकेटी को संघर्ष करना पड़ेगा। औरंगाबाद के डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय में 73 हजार 521 छात्रों में से 12.46% यानी 9 हजार 161 एटीकेटी, स्वामी रामानंद तीर्थ मराठवाड़ा यूनिवर्सिटी ऑफ नांदेड़ में, 35 हजार छात्रों में से 42.2% यानी 15 हजार एटीकेटी को असफल होने पर संघर्ष करना पड़ेगा।

जलगाँव के बहिनाबाई चौधरी उत्तर महाराष्ट्र विश्वविद्यालय में, ४६ हजार ४६६ छात्रों में से ३८ %.३४% यानी १ ७ हजार ८ १ ९ छात्रों में एटीकेटी है, जबकि एसएनडीटी में १४ हजार ८ ३ ९ छात्रों में से ३०.३२% यानी ४,५०० एटीकेटी छात्रों को असफल होने पर संघर्ष करना पड़ेगा!


Khabre Aaj Bhi

Reporter - Khabre Aaj Bhi

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