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लखनऊ: विश्व हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रणजीत बच्चन की हत्या की साजिश उनकी दूसरी पत्नी स्मृति ने अपने प्रेमी दीपेंद्र के साथ मिलकर रची थी। लखनऊ पुलिस ने गुरुवार को स्मृति, उसके प्रेमी व मुख्य आरोपित दीपेंद्र तथा उसके चालक संजीत को गिरफ्तार कर वारदात का राजफाश किया। पुलिस आयुक्त सुजीत कुमार पांडेय के मुताबिक रणजीत को दीपेंद्र के चचेरे भाई जितेंद्र ने गोली मारी थी, जो फरार है। आरोपित की तलाश में पुलिस की टीमें दबिश दे रही हैं। जितेंद्र पर 50 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया है। स्मृति जवाहर भवन में कनिष्ठ लिपिक कोषागार के पद पर कार्यरत है। ऐसे शुरू हुई अनबन रणजीत ने फरवरी 2015 में खुद को अविवाहित बताकर आर्य समाज मंदिर में विकासनगर सेक्टर दो निवासी स्मृति से शादी की थी। कुछ माह बाद स्मृति को पता चला कि रणजीत शादीशुदा हैं और कालिंदी उनकी पत्नी हैं। इसके बाद दोनों में अनबन शुरू हो गई थी। हालांकि, इस दौरान स्मृति गर्भवती थी और उसने एक बच्चे को जन्म दिया। बताया जा रहा है कि बच्चे का स्मृति ने गोदनामा बनवा रखा है।
स्मृति और दीपेंद्र की मुलाकात वर्ष 2017 में हुई थी। दरअसल, स्मृति बस से कहीं जा रही थी। उसी दौरान एक्सीडेंट हो गया था। दीपेंद्र के बड़े भाई परिवहन विभाग में कार्यरत हैं, जिससे स्मृति का परिचय हुआ था। बड़े भाई के माध्यम से दीपेंद्र और स्मृति की आपस में पहचान हुई। अक्टूबर 2019 में स्मृति और दीपेंद्र करीब आ गए और दोनों के बीच नजदीकी संबंध हो गए। दीपेंद्र और स्मृति शादी करने की योजना बनाने लगे। रणजीत अक्सर स्मृति से फोन पर बात करते थे। हालांकि, स्मृति की ओर से रणजीत के प्रति प्रेम भाव नहीं था। 17 जनवरी को रणजीत ने सिकंदर बाग चौराहे पर स्मृति से मुलाकात की थी। इस दौरान रणजीत ने स्मृति से साथ चलने और अकेले में मुलाकात करने की बात कही। रणजीत शादी की सालगिरह पर पार्टी करने के लिए स्मृति को मनाने लगे। इस पर स्मृति ने इन्कार कर दिया। दोनों में बहस होने लगी, जिस पर रणजीत ने स्मृति को थप्पड़ मार दिया। इस बात की जानकारी स्मृति ने दीपेंद्र को दी, जिसपर वह आग बबूला हो गया। 25 जनवरी को दीपेंद्र ने एक होटल में स्मृति से मुलाकात की। इस दौरान दोनों ने रणजीत को रास्ते से हटाने की योजना बना डाली।
तीन दिन रेकी, चौथी बार में हत्या
दीपेंद्र ने वारदात को अंजाम देने के लिए चचेरे भाई जितेंद्र और अपने ड्राइवर संजीत को तैयार किया। इसके बाद ओसीआर बिल्डिंग से रणजीत की रेकी शुरू कर दी। 26 जनवरी को भी वह लखनऊ में मौजूद था। 28 और 29 और 31 जनवरी को उसने रेकी की। इसके बाद एक फरवरी की रात में जितेंद्र और संजीत के साथ वह निगोहां के रास्ते लखनऊ पहुंचा। संजीत ने हजरतगंज में दीपेंद्र और कैपिटल चौराहे पर जितेंद्र को कार से उतारा और खुद लालबाग के रास्ते परिवर्तन चौराहे पर पहुंच गया। इसके बाद दीपेंद्र और जितेंद्र ने रणजीत तथा आदित्य का पीछा किया। मौका देखकर ग्लोब पार्क के पास जितेंद्र ने रणजीत की गोली मारकर हत्या कर दी। वहीं आदित्य के हाथ में गोली लगी और वह घायल हो गया। गिरफ्तार की गई स्मृति के पिता का देहांत हो गया था, जिनके स्थान पर उसे जवाहर भवन में कनिष्ठ लिपिक कोषागार के पद पर नौकरी मिल गई थी।
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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