To view this video please enable JavaScript, and consider upgrading to a web browser that supports HTML5 video
By: संदीप शर्मा
गाजीपुर :सेवराई तहसील क्षेत्र के करहिया गांव स्थित आदिशक्ति मां कामाख्या धाम पूर्वांचल के लोगों की आस्था विश्वास का केंद्र है। कहा जाता है कि यहां जमदग्नि, विश्वमित्र सरीखे ऋषि मुनियों का सत्संग समागम हुआ करता था। विश्वामित्र ने यहां एक महायज्ञ भी किया था मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने यही से आगे बढ़कर बक्सर में तड़का नामक राक्षसी का वध किया था। मंदिर की स्थापना के बारे में कहा जाता है कि पूर्व काल में फतेहपुर सीकरी के सिकरवार राजकुल पितामह खाबड़ जी महाराज ने कामगिरी पर्वत पर जाकर मां कामाख्या देवी की घोर तपस्या की थी और उनकी तपस्या से प्रसन्न मा कामाख्या ने कालांतर तक सिकरवार वंश की रक्षा करने का वरदान दिया था। 1840 तक मंदिर में खंडित मूर्ति पूजा होती रही 1841 में गहमर के एक स्वर्णकार तेजमन ने मनोकामना पूरी होने के बाद इस मंदिर के पुनर्निर्माण का बीड़ा उठाया था। ऐसी मान्यता है कि मां के दरबार से कोई भक्त खाली नहीं जाता उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है। चैत्र और .शारदीय नवरात्र में मां के दर्शन के लिए यूपी ही नही बल्कि बिहार प्रांत के दूरदराज से लोग आते हैं। मां कामाख्या के प्रति लोगों में अटूट आस्था एवं विश्वास है
Reporter - Khabre Aaj Bhi
0 followers
0 Subscribers