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By: भोलानाथ मिश्रा सम्पादकीय मुंबई : राजनीतिक क्षितिज पर कभी-कभी कुछ लोग मसीहा बनकर अपनी कार्यशैली व्यवहार भाषा शैली एवं उदारता के चलते अजर अमर हो जाते हैं और जनता के दिलों के दिलरुबा यादगार बन जाते हैं। आज की बदलती राजनीति के दौर में जो सबका प्रिय बना रहे ऐसे व्यक्ति को राजनीत का अनूठा महापुरुष ही कहा जा सकता है। आज हम एक ऐसे ही राजनैतिक व्यक्तित्व जो वयस्क बनते ही मायके से घूंघट ओढ़ कर ससुराल आकर ससुर को अपना गुरु मानकर कुछ ऐसा घूंघट उठाया जो भारतीय राजनीति में अमर हो गया। देश की धड़कन कही जाने वाली राजधानी दिल्ली के दिलवालों के दिल में लगातार 15 वर्षों तक बसने वाली और दिल्ली को मेट्रो जैसी तमाम ऐतिहासिक सौगात देकर उनके दिनों दिमाग पर राज करने वाली उत्तर प्रदेश के कानपुर की बहू कांग्रेस की एक स्तंभ नेता स्वर्गीय शीला दीक्षित जी की चर्चा करना चाहते हैं जो आज हमारे बीच नहीं हैं और काल के गाल में समा चुकी है और उनका नाशवान पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो चुका है। उत्तर प्रदेश के कन्नौज से सासंद के रूप में राजनीतिक सफर शुरुआत करने वाली मृदुभाषी कुशल राजनीतिक प्रशासक के रूप में अपनों ही नहीं विरोधियों की प्रिय सम्मानीय रही श्रद्धेय दीक्षित जी अब हमारे बीच में नहीं रह गई आज हम सबसे पहले अपनी और अपने पास को की तरफ से उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए शत शत नमन कर ईश्वर से उनकी आत्मा शांति एवं उनके परिजनों एवं उनके चाहने वालों को इस अपार दुख को सहने की क्षमता प्रदान करने की कामना करते हैं। सभी जानते हैं कि स्वर्गीय दीक्षित जी ने आजीवन अपने राजनैतिक प्लेटफॉर्म को नहीं बदला और वह हमेशा कांग्रेसजनों के बीच में सम्मानीय स्थान बनाए रखा और कांग्रेस की पहचान बनी रही। लगातार 15 वर्षों तक दिल्ली की मुख्यमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल हमेशा याद किया जाएगा क्योंकि उन्होंने दिल्ली को दिलवाली बना दिया था और दिल्ली की तस्वीर व तकदीर बदल दी थी। उन्होंने अपने कार्यकाल में कुछ ऐसा कर दिया जिसे दिल्ली वाले कभी नहीं भुला सकते हैं उनके कार्यकाल में कराए गए तमाम ऐतिहासिक कार्य हमेशा उनकी याद दिलाते रहेंगे और राजनैतिक क्षेत्र में हमेशा अनुकरणीय बनाए रहेंगे। उत्तर प्रदेश की बहू ने अपनी कार्यशैली के बल पर अपने माता पिता ही नहीं बल्कि सास ससुर पति सबकी प्रिय बनी रही और अपने ससुर वरिष्ठ कांग्रेसी स्वर्गीय उमाशंकर दीक्षित से राजनीतिक दीक्षा लेकर राजनीति में कुछ ऐसा जादू चलाया कि वह राजनीतिक क्षितिज शायद चमकता तारा बन गई जो हमेशा चमकता रहेगा। पिछले चुनाव में आप पार्टी से शिकस्त खाकर सत्ताच्युत होने वाली होने वाली दीक्षित जी वर्तमान में दिल्ली कांग्रेस की आला कमान और उसकी पहचान बनी थी। अभी कुछ दिन पहले वह दिल्ली वालों की तमाम समस्याओं को लेकर के वहां के मुख्यमंत्री और अपने निकटतम प्रतिद्वंदी केजरीवाल जी के पास गई थी और तमाम समस्याओं की तरफ उनका ध्यान आकृष्ट कराया था। दीक्षित जी भारत की राजनीति में महिलाओं को सक्रिय करने वाली महिलाओं में से मुख्य श्रेणी की श्रंखला में शामिल थी। वह राजनीति में आने से पहले अपनी कार्यशैली से इंदिरा जी को प्रभावित करने वाली प्रतिभाशाली थी। उनका इंदिरा जी के साथ शुरू हुआ सफर उनकी मृत्यु के बाद उनके पुत्र राजीव गांधी के सक्रिय राजनीति में ले आया और सरकार की अंग बन गई और मरते दम तक गांधी परिवार के साथ बनी रही।वह आज भी उनका साथ इंदिरा गांधी एवं राजीव गांधी के राजनीतिक परिवार की धरोहर गांधी परिवार के साथ सम्मानीय बना रहा।स्वर्गीय दीक्षित जी का राजनैतिक व्यकितत्व ही था जिसके कारण उनके निधन पर कांग्रेस परिवार के ही नहीं बल्कि उनकी पार्टी के धुर विरोधी भी श्रदांजलि देने उनके निवास पर गये जिनमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं उनके सहयोगी भी शामिल हैं।। ।। धन्यवाद।।
भोलानाथ मिश्रा वरिष्ठपत्रकार/समाजसेवी रामसनेहीचाट,बाराबंकी यूपी
Reporter - Khabre Aaj Bhi
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